नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में कोयले का मौजूदा उत्पादन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। कोयला भंडार के मामले में भारत दुनिया में पांचवें स्थान पर है। कोयला मंत्रालय ने बयान में कहा कि फिलहाल भारत 72.9 करोड़ टन कोयले का उत्पादन कर रहा है। बयान में कहा गया है, ‘‘यह तथ्य है कि घरेलू उत्पादन देश की कोयला मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।’’ पिछले साल भारत ने 24.7 करोड़ टन कोयले का आयात किया था और इसपर 1.58 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च की थी।
बयान में कहा गया है कि कोयला खानों की वाणिज्यिक नीलामी और केंद्र द्वारा किए गए पारदर्शी उपायों से देश में कोयले की मांग और आपूर्ति के अंतर को दूर करने में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘इससे न केवल पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार के भारी अवसर पैदा होंगे बल्कि सालाना 20,000 करोड़ से 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा भी बचाई जा सकेगी।’’ बयान में कहा गया है कि इन सुधारों से कोयले पर निर्भर अन्य उद्योगों को भी लाभ होगा।
कोयला मंत्रालय ने इसी माह चार कोयलों ब्लॉकों के लिए नए सिरे से बोलियां आमंत्रित की हैं। वाणिज्यिक खनन के पहले दौर की नीलामी में इन चार ब्लॉकों के लिए निविदा प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था। इन चारों ब्लॉकों के लिए पहले दौर में तकनीकी रूप से पात्र सिर्फ एक-एक बोली मिली थी। इन चार ब्लॉकों में से तीन ओडिशा और एक झारखंड में है। कोयला मंत्रालय ने कहा था कि ओडिशा में छेंदीपाड़ा, छेंदीपाड़ा-दो और कुरालोई (ए) उत्तरी कोयला खान तथा झारखंड के सेरगढ़ा ब्लॉक में पात्र बोलीदाताओं की संख्या दो से कम है, इसलिए इनकी बोली प्रक्रिया को निरस्त किया जा रहा है। इन ब्लॉकों की वार्षिक अधिकतम क्षमता 5.2 करोड़ टन की है। मंत्रालय ने कहा कि नामांकन प्राधिकरण इन कोयला ब्लॉकों की दूसरे दौर की नीलामी का प्रयास कर रहा है। इसके लिए नियम और शर्तें पहले दौर की तरह की रखी गई हैं।