नई दिल्ली। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर सूचीबद्ध 920 कंपनियों का 2015-16 में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) गतिविधियों पर खर्च 28 प्रतिशत बढ़कर 8,345 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत अधिकतर राशि शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च की गई है।
यह भी पढ़ें : भारतीय बाजार पर कायम है Maruti का दबदबा, सबसे ज्यादा बिकने वाली टॉप 10 कारों में 6 इसी कंपनी की
प्रधानमंत्री राहत कोष में योगदान 418 फीसदी बढ़ा
- प्राइम डाटाबेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में कंपनियों का प्रधानमंत्री राहत कोष में योगदान 418 प्रतिशत बढ़कर 701 करोड़ रपये पर पहुंच गया, जो 2014-15 में 168 करोड़ रुपए था।
- CSR कानून अप्रैल, 2014 में लागू हुआ था। इसके तहत कंपनियां को अपने शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत CSR गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य है।
यह भी पढ़ें : डुअल एज कर्व्ड डिस्प्ले वाला Xiaomi Mi Note 2 कल होगा लॉन्च
इन कंपनियों के लिए CSR पर खर्च करना है अनिवार्य
कंपनी कानून के अनुसार 500 करोड़ रुपए या अधिक के नेटवर्थ, 1,000 करोड़ रुपए या अधिक की आय या फिर 5 करोड़ रुपए या इससे अधिक का शुद्ध लाभ कमाने वाली कंपनियों को अपने पिछले तीन साल के औसत लाभ का दो प्रतिशत CSR पर खर्च करना अनिवार्य है।
2014-15 में CSR पर 6526 करोड़ हुए थे खर्च
- रिपोर्ट में कहा गया है कि NSE पर सूचीबद्ध 920 कंपनियों ने 2015-16 में CSR पर कुल 8,345 करोड़ रुपए खर्च किए।
- इससे पिछले वित्त वर्ष में 895 कंपनियों ने CSR गतिविधियों पर 6,526 करोड़ रुपए की राशि खर्च की थी।
- रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में सबसे अधिक 2,042 करोड़ की राशि शिक्षा पर खर्च की गई।
- स्वास्थ्य सेवाओं पर 1,638 करोड़ रुपए खर्च किए गए। कंपनियों ने अन्य मामलों में 1,782 करोड़ की राशि खर्च की।
- बाल मृत्यु को रोकने, मातृत्व स्वास्थ्य, महिला-पुरुष समानता को बढ़ावा देने और सामाजिक कारोबारी परियोजनाओं पर नाम मात्र की राशि खर्च की गई।
- महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कई कुछ ऐसे खर्च हुए हैं जो दो क्षेत्रों में आते हैं। जैसे महिलाओं के लिए शौचालय बनाने पर खर्च की गई राशि स्वास्थ्य सेवा के अलावा महिला-पुरुष भेद समाप्त करने दोनों के तहत आती है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सबसे अधिक, 651 करोड़ CSR के तहत किए खर्च
CSR पर खर्च करने के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे आगे रही। इसने सबसे अधिक 651 करोड़ रुपए खर्च किए। सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी ने सीएसआर पर 492 करोड़ रुपए , ओएनजीसी ने 409 करोड़ रुपए , टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने 294 करोड़ रुपए तथा आईटीसी ने 247.50 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।