नई दिल्ली। पिछले 9 दिनों से क्रूड ऑयल की कीमतों में जारी तेजी सरकार और आम आदमी को एक बार फिर डराने लगी है। 20 जनवरी को 12 साल के निचले स्तर पर फिसलने के बाद से लेकर अब तक क्रूड 25 फीसदी से अधिक महंगा हो चुका है। लेकिन, दुनिया के बड़े बैंक और ब्रोकरेज फर्म अब भी यह मानते हैं कि क्रूड ऑयल की कीमतों पर गिरावट कभी भी हावी हो सकती है। इसकी मुख्य वजह ईरान से बढ़ती सप्लाई, उत्पादन में कटौती को लेकर संदेह और अमेरिकी डॉलर में मजबूती मानी जा रही है। ऐसे में भले ही पिछले कुछ दिनों में अचानक क्रूड की कीमतों में बड़ी तेजी आई हो, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
रूस के एक बयान से क्रूड में आई तेजी
20 जनवरी को 12 वर्षों में पहली बार क्रूड ऑयल 28 डॉलर प्रति बैरल के नीचे फिसल गया और दुनियाभर के बड़े बैंक इसकी कीमत 20 डॉलर तक आने का अनुमान लगाने लगे। इस बीच रूस के ऊर्जा मंत्री का बयान आया और क्रूड की कीमतों में तेजी का सिलसिला शुरू हो गया। ऊर्जा मंत्री ने रूस की एक न्यूज एजेंसी को बताया कि फरवरी में दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देश कीमतों को लेकर एक बैठक कर सकते हैं, जिसमें 5 फीसदी उत्पादन कटौती को लेकर सहमति बन सकती है। इसके बाद क्रूड की कीमत शुक्रवार को 35 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई।
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क्रूड में आई तेजी नहीं टिकाऊ, आएगी गिरावट
रूस के ऊर्जा मंत्री के बयान से क्रूड की कीमतों में तेजी तो आ गई, लेकिन पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसी किसी भी बैठक और उत्पादन में कटौती से इंकार किया है। दूसरी ओर विश्लेषकों का मानना है कि तेजी के बावजूद मंदी का खतरा है। सिटीग्रुप के रिसर्च हेड (एशिया कमोडिटी) इवान स्जपाकोविस्की ने कहा कि शेल वेल्स के बंद होने और उत्पादन में कटौती की संभावना से क्रूड में आई तेजी को तेजी मानना गलत होगा। उनके मुताबिक ट्रेडिशनल टेक्नोलॉजी के विपरीत शेल ऑयल उत्पादन बढ़ाना आसन है। बंद हुए शेल वेल्स में उत्पादन दोबारा शुरू करना बहुत ही छोटे समय का काम है और अमेरिका में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।
ईरान से बढ़ती सप्लाई और मजबूत डॉलर से क्रूड होगा फिर पानी
इवान स्जपाकोविस्की ने कहा कि सिटीग्रुप को लगता है कि आने वाले महीनों के दौरान ईरान 3 लाख बैरल रोजाना क्रूड ऑयल एक्सपोर्ट करने लगेगा। वहीं ईरान ने प्रतिबंध हटने के एक साल के भीतर एक्सपोर्ट को बढ़ाकर 5 लाख बैरल प्रति दिन करने का लक्ष्य रखा है। दूसरी ओर चीन के बाद जापान के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें अप्रत्याशित रूप से निगेटिव कर दी हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अगर कुछ और बैंक ब्याज दरों में कटौती करते हैं तो अमेरिकी डॉलर में मजबूती आएगी और कमोडिटी की कीमतें गिरेंगी, जिससे क्रूड की कीमतों में फिर से एक बार गिरावट का नया दौर शुरू होगा।