पेट्रोल डीजल की महंगाई के बीच तेल उत्पादक देशों की ओर से एक बुरी खबर आई है। तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और अन्य सहयोगी देशों ने अपने मौजूदा कच्चे तेल की उत्पादन क्षमता में अप्रैल तक कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। साथ ही निर्णय किया है कि कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती जारी रहेगी। ओपेक देशों के इस फैसले का असर भारत पर भी पड़ेगा, जहां इस समय पेट्रोल की कीमतें 90 रुपये से 100 रुपये प्रति लीटर के बीच चल रही हैं।
वैश्विक कोरोना महामारी के नए स्वरूप के प्रसार और आर्थिक कमजोरी की चिंता को देखते हुए ओपेक देशों ने उत्पादन में बदलाव करने का फैसला लिया है। सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक और रूस की अगुवाई में गैर सदस्य देशों की हुई वर्चुअल बैठक के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में काफी उछाल देखने को मिला।
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दस लाख बैरल की कटौती
खासतौर पर सऊदी अरब द्वारा उत्पादन में दस लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती कम से कम अप्रैल तक जारी रहेगी। अब अगली बैठक अप्रैल में होनी है। बाजार विश्लेषकों को मानना है कि उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं होने से कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा। अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत कीमत 5.6 फीसदी बढ़ कर 64.70 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
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टूटी सस्ते तेल की उम्मीद
ओपेक देशों के इस फैसले से भारत की सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सरकार को उम्मीद थी कि उत्पादन बढ़ने पर कीमतों में कमी आएगी और टैक्स कम नहीं करना पड़ेगा। गुरुवार को मीटिंग से पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक देशों से कहा कि उत्पादन बढ़ाकर कीमतों में ठहराव लाया जाए। हालांकि इस बीच भारत में पेट्रोल डीजल पर जीएसटी लगाने की मांग उठ रही है। जिससे कीमतों में भारी गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है।