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Traders Vs Analyst: कच्‍चे तेेल की कीमतों पर गहराता असमंजस, 2016 में किसकी भविष्यवाणी होगी सही?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेेल की कीमतों को लेकर असमंजस गहराने लगा है। विशेषज्ञ इस साल तेल की कीमतों में रिकवरी की उम्मीद लगा रहे हैं।

Shubham Shankdhar
Published : January 02, 2016 10:07 IST
Traders Vs Analyst: कच्‍चे तेेल की कीमतों पर गहराता असमंजस, 2016 में किसकी भविष्यवाणी होगी सही?
Traders Vs Analyst: कच्‍चे तेेल की कीमतों पर गहराता असमंजस, 2016 में किसकी भविष्यवाणी होगी सही?

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्‍चे तेेल की कीमतों को लेकर असमंजस गहराने लगा है। तेल बाजार को समझने वाले विशेषज्ञ मौजूदा समीकरणों को पढ़कर इस साल तेल की कीमतों में रिकवरी की उम्मीद लगा रहे हैं। वहीं कम्प्यूटर स्क्रीन पर तेल की कीमतों को नफा नुकसान में बदलने वाले ट्रेडर्स अब भी तेल की कीमतें घटने पर दांव लगा रहे हैं। तेल की कीमतें किस ओर जाएंगी यह तो आने वाले महीनों में बदलते समीकरण तय करेंगे। लेकिन इस गहराते असमंजस के मायने भारत के लिए और भी गहरे हैं, क्योंकि मौजूदा स्तर से और अधिक गिरावट जहां एक ओर खाड़ी देशों में काम कर रहे लाखों भारतीय की नौकरियों पर खतरा बन सकती है। वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी उछाल सरकार से लेकर आम आदमी के लिए दिक्कत बढ़ा सकती है।

अपने तर्क अपने नतीजे

दुनिया के बड़े एनालिस्ट अनुमान लगा रहे हैं कि 2016 के अंत में क्रूड की कीमतों में तेजी आएगी, जिसके कारण पूरे साल औसत कीमत बढ़ेगी। एनालिस्ट इस तेजी की मुख्य वजह अमेरिका में तेल कंपनियों पर बढ़ता कर्ज का बोझ और रेवेन्यु में गिरावट को मान रहे हैं। 31एनालिस्टों के बीच कराए गए रॉयटर्स के ताजा सर्वे में 2016 में ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत का अनुमान 57.95 डॉलर निकलकर आया है, जो कि चालू स्तर से 20 डॉलर अधिक है। ज्यादातर एनालिस्टों के मुताबिक उत्पादन में कटौती आने वाले वर्षों में ऑयल मार्केट का रुख  बदल देगी।

ट्रेडर्स का कहना कि एनालिस्ट ने जिस आधार पर 2015 में तेल की कीमतों को लेकर भविष्यवाणी की थी, उसी आधार पर 2016 में तेजी की बात कर रहे हैं। वह पिछले वर्ष गलत साबित हुए और इस साल भी ऐसा ही होगा। ट्रेडर्स का तर्क है कि कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से कंपनी को भारी घाटा हुआ है, इस घाटे को पूरा करने और कंपनी चलाने के लिए उत्पादन जारी रखना पड़ेगा। इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट जारी रहेगी। सिंगापुर स्थित ऑयल ट्रेडिंग कंपनी स्ट्रांग पेट्रोलियम के एमडी ओइस्ते बेरेन्त्सेन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में अगले 2-3 साल तक तेजी की कोई उम्मीद नहीं है।

एक साल में 35 फीसदी सस्ता हुआ कच्चा तेल

कच्चे तेल की चाल आने वाले दिनों में कैसी रहेगी वह तो समय बताएगा। फिलहाल डिमांड के मुकाबले कच्चे तेल का उत्पादन 20 लाख बैरल रोजाना ज्यादा है। इसके कारण ब्रेंट क्रूड की कीमत 36 डॉलर प्रति बैरल (11 साल का निचला स्तर) पर आ गई है। 2015 में कच्चे तेल की कीमतों में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, 2014 में यह गिरावट 48 फीसदी तक पहुंच गई थी।

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