नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी होने का खतरा बढ़ गया है। भारतीय बास्केट के लिए कच्चे तेल का दाम 27 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है जिस वजह से तेल कंपनियों की लागत बढ़ी है और तेल कंपनियां कभी भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा कर सकती हैं।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक सोमवार यानि 30 अक्टूबर को भारतीय बास्केट के लिए कच्चे तेल का दाम 58.92 डॉलर प्रति बैरल दर्ज किया गया है जो जून 2015 के बाद सबसे अधिक भाव है। कच्चे तेल की कीमतों में आई इस बढ़ोतरी की वजह से तेल कंपनियों की लागत बढ़ने लगी है और तेल कंपनियां इसका बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं।
अगर तेल कंपनियों की तरफ से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई तो 14 दिसंबर तक सरकार चाहकर भी कीमतों को घटाने के लिए कदम नहीं उठा सकती है क्योंकि तबतक चुनाव आचार सहिंता लागू रहेगी। गुजरात में 14 दिसंबर को मतदान का आखिरी दिन होगा, इसके बाद ही सरकार के सामने कोई कदम उठाने का अधिकार होगा।
ऐसा नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल महंगा हो रहा है और तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाए हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पहले ही बढ़ना शुरू हो चुकी हैं। दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल का दाम बढ़कर 69.13 रुपए, मुंबई में 76.24 रुपए, कोलकाता में 71.90 रुपए और चेन्नई में 71.64 रुपए प्रति लीटर दर्ज किया गया है। अक्टूबर की शुरुआत में केंद्र सरकार ने जब एक्साइज में कटौती कर पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम किया था तो उस समय मुंबई में पेट्रोल 80 रुपए और दिल्ली में 70.88 रुपए प्रति लीटर हो चुका था। अब कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से पेट्रोल का दाम फिर से इसी स्तर तक पहुंचने की संभावना बढ़ गई है।