नई दिल्ली। दुनिया भर में तेल कुओं की खोज 60 साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। अगर हालात ऐसे रहे तो अगले 10 वर्षों में क्रूड सप्लाई डिमांड के मुकाबले घट सकती है। एक कंसल्टेंसी फर्म आईएचएस के मुताबिक बीते साल दुनिया भर में 2.8 बिलियन बैरल क्रूड की खोज की गई है। 1954 के बाद क्रूड की खोज का यह सबसे निचला स्तर है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट के कारण तेल कंपनियां निवेश करने से बच रही हैं। ऐसे में सस्ते पेट्रोल और डीजल के दिन लद सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों में सबसे अधिक नए तेल रिजर्व समुद्र तट से दूर गहरे पानी में पाए गए हैं। जहां से क्रूड की निकासी शुरू करने में कम से कम सात साल का वक्त लगेगा। इसका मतलब यह है कि 2020 के दशक मध्य तक क्रूड की सप्लाई में कमी की स्थिति पैदा हो सकती है। एक अन्य कंसल्टेंसी फर्म वुड मैकेंजी के मुताबिक, क्रूड की खोज में कमी का यह मतलब नहीं है कि आने वाले दिनों में दुनिया में क्रूड की कमी हो जाएगी। बीते साल में वैश्विक उत्पादन में इजाफा मौजूदा तेल रिजर्व में प्रॉडक्शन का बढ़ना है।
तस्वीरों में देखिए क्रूड से जुड़े फैक्ट्स
Crude oil
Crude oil
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
Crude oil
Crude oil
IndiaTV Paisa
IndiaTV Paisa
Crude oil
Crude oil
IndiaTV Paisa
Crude oil
IndiaTV Paisa
Crude oil
IndiaTV Paisa
Crude oil
IndiaTV Paisa
Crude oil
IndiaTV Paisa
Crude oil
वुड मैकेंजी के मुताबिक यदि आने वाले साल में ऑइल रिजर्व तलाशने की प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं दिखता है तो 2035 तक क्रूड की सप्लाई में प्रति दिन 4.5 मिलियन बैरल तक की भारी गिरावट हो सकती है। इसका नतीजा तेल की अधिक कीमतों के तौर पर भी देखने को मिल सकता है। आने वाले सालों में दुनिया में अमेरिका की तरह ही शेल पर निर्भरता बढ़ सकती है। 2014 की गर्मियों के बाद से कच्चे तेल और गैस के दामों में लगातार जारी गिरावट के चलते ज्यादातर तेल कंपनियां कॉस्ट कटिंग करने में लगी हैं। तेल कंपनियों ने नए रिजर्व की खोज पर भी खर्च में कमी की है, इसकी वजह यह है कि ऑइल रिजर्व पर खर्च की गई राशि से शॉर्ट टर्म में कोई रिटर्न नहीं मिलता है।