नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में आई तेजी से बुधवार को घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स पर तेल के वायदों में दो फीसदी से ज्यादा का उछाल आया। अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार घटने और डॉलर में आई कमजोरी के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी देखी जा रही है। कच्चे तेल की तेजी को ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का भी सपोर्ट मिल रहा है।
कमोडिटी बाजार के जानकार के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई तेजी के कारण घरेलू वायदा बाजार में तेल के दाम में उछाल आया है। भारतीय समयानुसार, अपराह्न् 19.25 बजे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सितंबर डिलीवरी कच्चे तेल के वायदा अनुबंध में 98 रुपये यानी 2.12 फीसदी की तेजी के साथ 4,715 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था। इससे पहले वायदे में 4,720 रुपये तक का उछाल आया। अक्टूबर वायदा अनुबंध भी दो फीसदी से ऊपर के स्तर पर बना हुआ था।
अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का अक्टूबर वायदा अनुबंध नायमैक्स पर 1.55 डॉलर यानी 2.35 फीसदी की बढ़त के साथ 67.39 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था। इससे पहले 67.44 डॉलर प्रति बैरल तक का उछाल आया। आईसीई पर ब्रेंट क्रूड का अक्टूबर वायदा 1.56 डॉलर यानी 2.19 फीसदी की बढ़त के साथ 74.19 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था जबकि इससे पहले 74.27 डॉलर तक का ऊपरी स्तर रहा।
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर विजय केडिया के अनुसार, अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की ओर से जारी पिछले सप्ताह के स्टॉक में 52 लाख बैरल की कमी की रिपोर्ट के बाद कच्चे तेल के दाम में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल के दाम को अमेरिका द्वारा ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने से सपोर्ट मिल रहा है क्योंकि ओपेक देशों में तेल के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक ईरान के तेल निर्यात की संभावना कम हो गई है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, डॉलर में आई कमजोरी से भी तेल के दाम को सहारा मिला है। इस बीच बाजार की नजर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से फेडरल रिजर्व को लेकर दिए गए बयान के बाद से डॉलर में लगातार कमजोरी देखी जा रही है। ट्रंप ने कहा कि केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दर में बढ़ोतरी की बात से वह रोमांचित नहीं हैं।
गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में बढ़ोतरी के भारत में तेल का आयात महंगा हो जाता है जिससे तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहरहाल कच्चे तेल का दाम दो सप्ताह के ऊपरी स्तर पर बना हुआ है।