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Shocking: जनवरी-मार्च में 5-8% तक महंगा होगा पेट्रोल और डीजल, मुंबई में भाव 80 रु/ली होने की आशंका

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में पेट्रोल और डीजल के दाम 5 से 8 फीसदी तक बढ़ सकते है।

Ankit Tyagi
Updated : December 07, 2016 14:29 IST
Shocking: नए साल पर पेट्रोल और डीजल हो जाएंगे महंगे, चुकानी होगी 80 रुपए/लीटर तक कीमत!
Shocking: नए साल पर पेट्रोल और डीजल हो जाएंगे महंगे, चुकानी होगी 80 रुपए/लीटर तक कीमत!

नई दिल्ली। क्रूड (कच्चे तेल) उत्पादक देशों के संगठन OPEC ने अगले महीने से उत्पादन घटाने का फैसला किया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 5 दिन में 18 फीसदी तक उछल गए हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में पेट्रोल और डीजल के दाम 5 से 8 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि 1 दिसंबर को देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में 13 पैसे की बढ़ोतरी और डीजल में 12 पैसे की कटौती की थी। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 66.10 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 54.57 रुपए प्रति लीटर हैं।

मुंबई में पेट्रोल के दाम हो जाएंगे 80 रुपए!

  • क्रिसिल ने कहा है ओपेक के फैसले की वजह से मार्च, 2017 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 50-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच जाएगी।
  • हालांकि अगर क्रूड 60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा, तो मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80 रुपए और डीजल की कीमत 68 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी।

तस्वीरों में देखिए इंडियन ऑयल से जुड़े रोचक तथ्य

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जनवरी-मार्च तिमाही में इसलिए बढ़ेंगे पेट्रोल और डीजल के दाम

  • रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल जैसी सरकारी कंपनियां 30-40 दिन एडवांस में क्रूड की बुकिंग करती हैं।
  • इसलिए दिसंबर में दाम बढ़ने का इन पर असर नहीं होगा। लेकिन जनवरी-मार्च में उन्हें ज्यादा कीमत पर क्रूड खरीदना पड़ेगा।

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क्यों की गई उत्पादन में कटौती

  • क्रूड के दाम करीब दो साल से नीचे चल रहे हैं। इससे इनका उत्पादन करने वाले देशों की कमाई घट गई है।
  • इसलिए बीते बुधवार को ओपेक देशों ने क्रूड उत्पादन 12 लाख बैरल घटाने का फैसला किया।
  • इससे दाम बढ़ेंगे। ग्लोबल स्तर पर अभी 14 से 17 लाख बैरल रोजाना की ओवर सप्लाई है। यानी उत्पादन में कटौती से मांग और आपूर्ति में संतुलन बनेगा।

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ओपेक के लिए चुनौती

रिपोर्ट में कहा गया है,

उत्पादन में कटौती हमेशा कीमतों में इजाफे की वजह बनती है। लेकिन, ओपेक के फैसले की सफलता इसके सदस्य देशों के रुख पर निर्भर करेगी। पहले ऐसे कई मौके आए हैं, जब घरेलू मजबूरियों की वजह से संगठन के सदस्यों ने फैसले की अनदेखी की है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादन पर बनेगा संतुलन

  • अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर फिलहाल रोजाना जरूरत से 14-17 लाख बैरल ज्यादा कच्चे तेल की आपूर्ति हो रही है।
  • इसका मतलब है कि उत्पादन घटाने को लेकर यदि ओपेक के सदस्य देश फैसले पर कायम रहते हैं, तो अगले साल की दूसरी छमाही में मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बन जाएगा।

अमेरिका से राहत

  • राहत की बात यह है कि कच्चे तेल का भाव 50 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते ही अमेरिका के ढेरों शेल तेल उत्पादकों के लिए एक बार फिर यह बिजनेस फायदेमंद हो जाएगा।
  • ऐसे में वहां उत्पादन बढ़ेगा। नतीजतन अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों पर लगाम लगेगी।

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