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बैंकों के ऋण उठाव में अगले महीने से आयेगी तेजी: विनोद राय

उद्योगों के कुछ क्षेत्रों में नरमी और बैंकों के एनपीए से जुड़े मुद्दों के कारण हाल में कर्ज उठाव में जो गिरावट आई थी उसमें अगले महीने से तेजी आ सकती है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: May 12, 2016 19:10 IST
बैंकों के जल्‍द आएंगे अच्‍छे दिन, अगले महीने से बढ़ सकती हैं लोन डिमांड- India TV Paisa
बैंकों के जल्‍द आएंगे अच्‍छे दिन, अगले महीने से बढ़ सकती हैं लोन डिमांड

नई दिल्ली। उद्योगों के कुछ क्षेत्रों में नरमी और बैंकों के एनपीए से जुड़े मुद्दों के कारण हाल में कर्ज उठाव में जो गिरावट आई थी उसमें अगले महीने से तेजी आ सकती है। यह बात बैंक बोर्ड ब्यूरो के प्रमुख विनोद राय ने कही। राय ने फरवरी में गठित ब्यूरो की तीसरी बैठक के बाद कहा, जिन प्रबंध निदेशकों से हमने मुलाकात की है उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि जिस तरह के उपाय किए गए हैं, उनसे ऋण वितरण प्रक्रिया जल्दी ही शुरू होगी और आपको बैंकों के ऋण उठाव में स्वस्थ वृद्धि दिखेगी।

उन्होंने करीब चार घंटे लंबी चली बैठक के बाद कहा, हमने उन्हें सहूलियत दी है आपको अगले महीने से असर दिखेगा। हम निर्देश नहीं देते यह निदेशक मंडल से चलने वाली प्रक्रिया है। राय ने हालांकि, ऋण वितरण प्रक्रिया बढ़ाने से जुड़ी पहलों का जिक्र नहीं किया। ब्यूरो का गठन सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के चयन में मदद करने तथा पूंजी जुटाने एवं मजबूती की प्रक्रिया के संबंध में रणनीति बनाने में मदद देने के लिए किया गया। इसके अलावा ब्यूरो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए की समस्या पर भी विचार कर रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बढ़ते एनपीए से जूझ रहे हैं जो दिसंबर अंत तक 3.61 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर था।

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पूर्व सीएजी विनोद राय ने बैंकों को मजबूत बनाने के संबंध में कहा कि यह उचित समय पर होगा। प्राथमिकता है ऋण वितरण प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। दूसरे रिक्त पद भरे जाने चाहिए। यह पूछने पर कि क्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बजट में निर्धारित 25,000 करोड़ रुपए से अधिक की जरूरत हो सकती है, उन्होंने कहा, वित्तीय नतीजा सामने आ जाए हमें पता चलेगा कि कितने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि दिवालया एवं शोधन अक्षमता कानून पारित होना काफी उपयोगी है। राय ने कहा, इससे बैंकों का हाथ मजबूत होता है और मुझे लगता है कि यह बेहद रचनात्मक है। देश में एसबीआई, आईडीबीआई बैंक और भारतीय महिला बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के 22 बैंक हैं। ब्यूरो में अध्यक्ष के अलावा तीन पदेन सदस्य (सार्वजनिक उपक्रम विभाग के सचिव, वित्तीय सेवा सचिव, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर) हैं और इतनी की संख्या में विशेषज्ञ सदस्य हैं।

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