नई दिल्ली। देश इस समय कोरोना की दूसरी लहर के बीच गंभीर संकट का सामना कर रहा है। देश के अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं। इस बीच ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। कोरोन के चलते अस्पताल भी मरीजों से मोटी फीस वसूल रहे हैं। दूसरी ओर बीमा कंपनियां मरीजों को कैशलैस हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ भी नहीं दे रही हैं। इन शिकायतों के सामने आने के बाद भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि IRDAI ने निर्देश दिए हैं कि जहां बीमाकर्ताओं के पास कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए अस्पतालों के साथ व्यवस्था है ऐसे नेटवर्क कैशलेस इलाज मुहैया कराने के लिए बाध्य हैं।
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को इरडा के चेयरमैन एससी खुंटिया से बात की थी और इन शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई करने को कहा था। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इरडा के चेयरमैन से बीमा कंपनियों द्वारा कैशलेस इलाज के दावों को खारिज करने की शिकायतों पर उचित आदेश जारी करने का सुझाव दिया था। इसके बाद इरडा ने बीमा कंपनियों से कोरोना मरीजों के बीमा दावों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने को कहा था।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी रिपोर्टें मिल रही हैं कि कुछ अस्पताल कैशलेस बीमा की सहूलियत लोगों को देने से मना कर रहे हैं। मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण को व्यापक स्वास्थ्य बीमा में शामिल किया गया। कैशलेस इलाज की सुविधा नेटवर्क अस्पतालों के साथ-साथ अस्थाई अस्पतालों में भी उपलब्ध है। हालांकि वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों ने 8,642 करोड़ रुपए के कोविड से जुड़े नौ लाख से अधिक दावों का निपटान किया है।
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समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक इरडा ने 'कैशलेस' इलाज नहीं मिलने की शिकायतों पर कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन मामलों में बीमा कंपनियों की अस्पतालों के साथ कैशलेस सुविधा को लेकर व्यवस्था है वैसे नेटवर्क वाले अस्पताल कोविड समेत सभी प्रकार के इलाज कैशलेस करने को बाध्य हैं।