नई दिल्ली। कोविड प्रभावित घरेलू अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में घटबढ़ जारी रहने के बीच बाजार के जानकारों का कहना है कि बाजार में मांग में सुधार और औद्योगिक गतिविधियों में मजबूती के लिए टीकाकरण की रफ्तार और संक्रमण पर नियंत्रण जरूरी है। सरकार द्वारा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के कल जारी आंशिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि कहने को सालाना आधार पर 134 प्रतिशत रहीं जो इसी वर्ष मार्च की तुलना में नरमी का संकेत देती है।
सरकार ने कहा है कि पिछले साल अप्रैल में देशव्यापी कठोर लॉकडाउन के मद्देनजर औद्योगिक उत्पादन जिस तरह प्रभावित हुआ था उसके देखते हुए उसके साथ इस साल अप्रैल के आंकड़ों की तुलना व्यावहारिक नहीं है। औद्योगिक उत्पादन की अप्रैल 2021 की वृद्धि दर के आंकड़े पर निवेश परामर्श कंपनी मिलवुड केन इंटरनेशनल के संस्थापक एवं सीईओ नीश भट्ट ने कहा कि इस बार के आंकड़ों की तुलना पिछले साल अप्रैल से नहीं की जा सकती क्योंकि उस समय देश के अधिकांश भागों में सख्त लॉकडाउन लागू था। भट ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि मार्च की तुलना में 13 प्रतिशत कम रही। ‘कोविड की दूसरी लहर का उद्योग धंधे पर असर पड़ा है। यह अप्रैल के आंकड़ों में झलक भी रहा है।’ उन्होंने कहा कि कोविड टीकाकरण एक अच्छे खासे स्तर पर पहुंच जाने, कोरोना वायरस संक्रमण के काबू में आने, सरकारों की ओर से जायज कारोबार को जारी रखने की अनुमति दिए जाने के बाद ही औद्यागिक कामकाज में मजबूती के साथ तेजी लौटेगी।
रीयल एस्टेट बाजार का अनुसंधान करने वाली फर्म नाइट फ्रैंक के निदेशक (अनुसंधान) विवेक राठी ने भी कहा, 'हमारा मानना है कि आगे के दिनों में कोविड-19 टीकाकरण अभियान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। इससे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और मांग में तेजी आएगी। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि तुलना का आधार अनुकूल होने के कारण इस बार अप्रैल की औद्योगिक वृद्धि में 134 प्रतिशत का जबर्दस्त उछाल दिख रहा है जबकि गतिविधियां कमजोर हुई हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में स्थानीय स्तर पर लाकडाउन का उत्पादन पर असर दिखा है। महाराष्ट्र का देश के विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन (विनिर्माण जीवीए) में 18 प्रतिशत का योगदान है। ' माधवी का अनुमान है कि 'यदि यह मान लें कि कोविड-19 अधिकतम प्रकोप इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक ही सीमित रहेगा और आबादी के बड़े हिस्से को पहली छमाही तक टीका लग चुका होगा तो मांग के उभरने से दूसरी छमाही में विनिर्माण और कुल मिलाकर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में सुधार दिखने लगेगा।'
इस साल अप्रैल में आईआईपी 126.6 अंक रहा जो कि 2019 अप्रैल के करीब-करीब बराबर ही है। हालांकि, पिछले साल अप्रैल के मुकाबले यह 134 प्रतिशत की बढ़त दर्शाता है, क्योंकि पिछले साल अप्रैल में औद्योगिक गतिविधियां काफी कुछ बंद थी।
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