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महामारी की चुनौतियों से निपटने के लिए दीर्घ अवधि के लिए फंड की व्यवस्था करें देश: IMF

IMF का अनुमान है कि आर्थिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर ठप होने के साथ प्राथमिक घाटा बढ़ने से वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर्ज 2020 में उछलकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का करीब 100 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 14, 2020 22:43 IST
दीर्घ अवधि के लिए फंड...- India TV Paisa
Photo:FILE PHOTO

दीर्घ अवधि के लिए फंड की व्यवस्था करें देश

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बुधवार को कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों ने कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर खुद से 11,700 अरब डॉलर के बराबर वित्तीय कदम उठाये। आईएमएफ ने कहा कि अब उन्हें आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखकर मध्यम अवधि से लेकर दीर्घावधि के लिये सुरक्षित कोष बनाना होगा। मुद्राकोष के राजकोष प्रभाग के निदेशक विटोर गैसपर ने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों के जीवन बचाने, उन्हें मदद देने तथा कंपनियों को बाजार में टिके रहने में मदद देने के लिए  त्वरित और निर्णायक राजकोषीय उपाय जरूरी थे। उन्होंने कहा कि लेकिन आर्थिक गतिविधियां बड़े पैमाने पर ठप होने के साथ प्राथमिक घाटा बढ़ने से वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर्ज 2020 में उछलकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का करीब 100 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। 

गैसपर ने कहा, ‘‘आने वाले समय में सार्वजनिक कर्ज कुछ स्थिर होगा, लेकिन यह 2025 तक जीडीपी के 100 प्रतिशत के स्तर पर बना रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विचार से, प्राथमिकता कोविड-19 को नियंत्रण में लाने की होनी चाहिए। यह जरूरी है कि राजकोषीय मदद को समय से पहले वापस नहीं लिया जाए। यह आवश्यक है कि हालत में सुधार होता रहे। यह अर्थव्यवस्थाओं और समाज के स्थायी संकट से बचने के लिए आवश्यक है।’’ गैसपर ने कहा कि कंपनियों और कर्मचारियों को जो मदद दी जा रही है, उसे लोगों और पूंजी में निवेश करने समेत धीरे-धीरे संसाधन के पुन:आबंटन और आर्थिक बदलाव को सुगम बनाने की दिशा में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘देशों को मध्यम अवधि से दीर्घकाल के दौरान कोष बनाने की जरूरत होगी। दीर्घकालीन चुनौतियों के बारे में पहले से सोचना जरूरी है। पारदर्शिता और सुशासन के सिद्धांतों को और मजबूत करना भी महत्वपूर्ण है।’’ 

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