नई दिल्ली। इस साल देश में भले ही कपास का कम उत्पादन हो लेकिन दूसरे देशों में उत्पादन अच्छा होने के आसार हैं जिस वजह से इस साल वैश्विक स्तर पर कपास उत्पादन 3 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच सकता है, कपास की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल कॉटन एडवायजरी कमेटी (ICAC) ने रिपोर्ट जारी कर यह जानकारी दी है। ICAC ने इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपास की कीमतों पर दबाव रहने की आशंका भी जताई है।
ICAC के मुताबिक चालू कपास वर्ष 2017-18 के दौरान वैश्विक स्तर पर कपास का उत्पादन 255.7 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है जो पिछले साल के मुकाबले 25.2 लाख टन अधिक होगा और 2014-15 सीजन के बाद सबसे अधिक उत्पादन होगा। ICAC के मुताबिक 2017-18 में 3 साल बाद ऐसा होगा कि कपास की खपत इसके उत्पादन से होगी, इस साल खपत 252.2 लाख टन अनुमानित की गई है जो पिछले साल के मुकाबले 6.6 लाख टन अधिक होगी लेकिन उत्पादन से कम है।
उत्पादन के मुकाबले कपास की कम खपत की वजह से इस साल कपास की सप्लाई पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रहने का अनुमान है जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कपास की कीमतों पर दबाव आ सकता है। ICAC के मुताबिक कपास के भाव के बारे में जानकारी देने वाला कॉटलुक इंडेक्स इस साल घटकर औसतन 69 सेंट प्रति पौंड रह सकता है। पिछले साल यह इंडेक्स 83 सेंट प्रति पौंड था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कपास की कीमतों में गिरावट आती है तो इसका असर घरेलू स्तर पर भी दिखेगा, इस साल देश में कपास की पैदावार भी कम अनुमानित है, ऐसे में भाव घटा तो किसानों पर ज्यादा मार पड़ सकती है।
हालांकि अभी तक किसानों को उनकी फसल का अच्छा भाव मिल रहा है। सरकार ने इस साल लॉन्ग स्टेपल कपास के लिए 4320 रुपए प्रति क्विंटल और मीडियम स्टेपल कपास के लिए 4,020 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया हुआ है और ज्यादातर मंडियों में कपास इस भाव के ऊपर ही बिक रहा है। ऐसे में किसानों को अभी तक अच्छा लाभ हो रहा है।