मुंबई। पिछले दो साल से कमजोर मानसून की मार झेल रहे किसानों की परेशानी और बढ़ने वाली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कम बुआई और घटती उत्पादकता के कारण चालू वर्ष में देश का कपास उत्पादन 11 फीसदी गिरकर 335 लाख गांठ (एक गांठ= 170 किलो) रहने का अनुमान है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ने वाली है। एक ओर चीन से कमजोर मांग के चलते किसानों को कपास के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर उत्पादकता में भारी गिरावट किसानों के लिए मुसीबत बनकर आई है।
कपास के उत्पादन में 11 फीसदी कमी की संभावना
एडलवाइस एग्री रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वर्ष में कपास उत्पादन 335 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी कम है। पिछले वर्ष के 376.6 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। कम उत्पादन का मुख्य कारण उत्तर भारत में व्हाइट फ्लाई संक्रमण के कारण उत्पादकता में भारी गिरावट का आना और खेती के कम रकबे का होना है। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले सीजन में कमजोर बरसात के कारण कपास खेती के रकबे में 7.5 फीसदी की गिरावट आई है और यह गिरावट पूरे प्रदेश भर में देखने को मिली है। कुल उपज में 3.8 फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। इसका मुख्य कारण उत्तर भारत में उपज में भारी कमी आना है जो लगभग 35 फीसदी कम हुआ है।
व्हाइट फ्लाई ने किया फसल बर्बाद
रिपोर्ट के अनुसार ऐसी आशंका है कि उत्पादकता में और कमी आ सकती है, क्योंकि संक्रमण काफी अधिक होने के कारण कई खेतों में कटाई भी नहीं की जा सकी, कई किसान एक बार तुड़ाई का किल्प अपना सकते हैं क्योंकि तुड़ाई की लागत अधिक है। दूसरी तुड़ाई में उपज इतना पर्याप्त नहीं होगा कि श्रमिकों का भत्ता भी दिया जा सके। हालांकि मध्य भारत यानी गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में वर्ष दर वर्ष आधार पर उपज अधिक रहने की उम्मीद है।