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विदर्भ के किसानों को राहत के आसार, बढ़ सकता है महाराष्‍ट्र में कपास का उत्‍पादन

महाराष्ट्र राज्य कपास उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष एनपी हिरानी के मुताबिक इस साल राज्य में बंपर कपास उत्पादन की संभावना है। साथ ही कीमत एमएसपी के ऊपर है।

Shubham Shankdhar
Updated : November 05, 2015 17:12 IST
विदर्भ के किसानों को राहत के आसार, बढ़ सकता है महाराष्‍ट्र में कपास का उत्‍पादन
विदर्भ के किसानों को राहत के आसार, बढ़ सकता है महाराष्‍ट्र में कपास का उत्‍पादन

नागपुर। कमजोर मानसून और सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के किसानों को राहत मिल सकती है। महाराष्ट्र राज्य कपास उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष एनपी हिरानी के मुताबिक इस साल राज्य में बंपर कपास उत्पादन की संभावना है। इससे आर्थिक तंगी झेल रहे विदर्भ क्षेत्र के किसानों की मुश्किलें कुछ कम होगीं। उत्पादन अच्छा होने के अलावा यहां कपास न्यूनतम समर्थन मूल्य से 350 रुपए प्रति क्विंटल तक अधिक दाम पर बिक रही है।

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ज्यादा कीमत पर कारोबारी खरीद रहे कपास

हिरानी ने बताया कि राज्य में कपास की सबसे ज्यादा खेती विदर्भ में होती है। कपास ने यहां की ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। उनके मुताबिक इस साल फसल 350 से 380 लाख क्विंटल के बीच रहेगी, जो पिछले साल 300 लाख क्विंटल थी। पिछले हफ्ते प्राइवेट ट्रेडर्स ने खरीद शुरू की है और अब तक 4,150 से 4,450 रुपए प्रति क्विंटल के दाम पर 1.5 लाख क्विंटल कपास खरीदा जा चुका है। केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य 4100 रुपए प्रति क्विंटल है। महाराष्ट्र राज्य कपास उत्पादक सहकारी परिसंघ ने 15 नवंबर से खरीद केंद्र खोलने का फैसला किया है।

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चीन पर निर्भर करेगी कपास की कीमत

गौरतलब है कि आने वाले दिनों में कपास की कीमत मुख्य तौर पर चीन पर निर्भर करेगी। यदि पड़ोसी देश ने आयात का विकल्प खुला रखा तो भारतीय कपास उत्पादक अच्छी मांग की उम्मीद कर सकते हैं और उन्हें निर्यात के जरिये ऊंची कीमत मिल सकती है। कपास उद्योग के सूत्रों ने बताया कि निर्यात फायदेमंद है लेकिन चीन को होने वाले निर्यात के संबंध में कोई निश्चितता नहीं है क्योंकि वहां आर्थिक मंदी है। चीन ने दो साल पहले भारी मात्रा में विश्व भर से कपास खरीदा था। उस स्टॉक के खत्म हो जाने के चलते निर्यात बढ़ने की उम्मीद है।

15 नवंबर के बाद बढ़ेगी सप्लाई

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के पूर्व विधान परिषद सदस्य ने कहा हमें उम्मीद है कि 15 नवंबर के बाद आपूर्ति बढ़ेगी जिससे दर घटेगी। उस समय परिसंघ हस्तक्षेप करेगा और अपने केंद्रों पर खरीद शुरू करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी कारोबारी किसानों का शोषण न करें और कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे न जाए। उन्होंने कहा कि सोमवार को सरकी (कपास के बीज) की कीमत 250 रुपए घटकर 2,050 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में कच्चे कपास की कीमत में कमी भी आ सकती है।

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