नई दिल्ली। प्रधानमंत्री राहत कोष में कंपनियों का योगदान 2015-16 में 25 प्रतिशत घटकर 80.55 करोड़ रुपए रहा। कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत किए जाने वाले 1,270 कंपनियों के खर्च पर नजर रखने वाली एक कंपनी ने यह जानकारी दी है।
सीआईआई-आईटीसी सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2016 को समाप्त वित्त वर्ष में 1,270 कंपनियों ने सामूहिक रूप से 8,185 करोड़ रुपए सीएसआर पर खर्च किए है। वित्त वर्ष 2014-15 में खर्च किए गए 6,400 करोड़ रुपए की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है।
यह खर्च कानूनी तौर पर उनके लिए जरूरी 8,900 करोड़ रुपए के अनिवार्य खर्च का 92 प्रतिशत है। बड़ी कंपनियों को तीन वित्त वर्ष के अपने औसत शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत सीएसआर पर खर्च करना होता है। कंपनियों ने सामूहिक रूप से इस मद में 10,257 करोड़ रुपए का बजट रखा था जो जरूरी न्यूनतम बजट के मुकाबले 15 प्रतिशत अधिक है।
सीआईआई के अध्यक्ष नौसाद फोर्ब्स ने कहा, सीएसआर बोर्ड स्तरीय जवाबदेही का मामला है। निदेशक मंडल को उन कुछ संबंधित पक्षों के हस्तक्षेप के बिना अपना काम करने की अनुमति मिलनी चाहिए जिनकी प्रवृत्ति अपने संर्कीण लाभ के लिए सीएसआर कानून के उल्लंघन की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री राहत कोष में योगदान 2015-16 में 80.55 करोड़ रुपए रहा जो पूर्व वित्त वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत कम है। जिन कंपनियों का नेटवर्थ कम-से-कम 500 करोड़ रुपए है और कारोबार 1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक है। वहीं न्यूनतम शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए है, उन्हें सीएसआर नियमों का अनुपालन करना होता है।
सर्वे के अनुसार कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी गतिविधियों में भागीदारी के संदर्भ में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे औद्योगिक राज्य तीन शीर्ष राज्य लगातार बने हुए हैं।