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नए निवेश को लेकर घरेलू कंपनियां चौकस

घरेलू कंपनियां कमजोर मांग के कारण नए निवेश को लेकर चौकस हैं। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में नरम पुनरद्धार को लेकर भी चिंता हैं।

Dharmender Chaudhary
Published : June 19, 2016 18:49 IST
ग्लोबल सुस्ती और कमजोर मांग से घरेलू कंपनियों की बढ़ी चिंता, नए निवेश पर फोकस
ग्लोबल सुस्ती और कमजोर मांग से घरेलू कंपनियों की बढ़ी चिंता, नए निवेश पर फोकस

नई दिल्ली। घरेलू कंपनियां कमजोर मांग के कारण नए निवेश को लेकर चौकस हैं। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में नरम रिवाइवल को लेकर भी चिंता हैं। सर्वेक्षण के अनुसार वैश्विक आर्थिक स्थिति कमजोर बनी हुई है और कोई भी मजबूत रिवाइवल दिखाई नहीं दे रहा है, क्योंकि सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों में से 64 फीसदी ने संकेत दिया कि मांग की स्थिति चिंताजनक बनी रहेगी।

फिक्की व्यापार विश्वास सर्वे में 120 कंपनियों की प्रतिक्रिया ली गई। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी इन कंपनियों का कारोबार तीन करोड़ रुपए से लेकर 65,000 करोड़ रुपए है। उनके विचार अप्रैल-सितंबर 2016 के लिए हैं। करीब 35 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे अप्रैल-सितंबर के दौरान अधिक निवेश की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि पिछले दौर में 41 फीसदी ने यह राय जाहिर की थी। कंपनियां ताजा निवेश को लेकर चौकस हैं और करीब 46 फीसदी ने कहा कि उनके निवेश के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है।

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सर्वेक्षण के नतीजे पर फिक्की ने कहा, निवेश को गति देने के लिए पिछले करीब दो साल में जो उपाय किए गए, उसको देखते हुए प्रतिभागियों से यह संकेत देने को कहा गया कि क्या वे अपने परिचालन के आसपास के क्षेत्रों में निवेश गतिविधियों में कुछ सुधार देख रहे हैं, और उनमें से अधिकतर ने कहा कि उन्हें निवेश का फलदायी होना देखना अभी बाकी है। सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों ने संकेत दिया कि जिन क्षेत्रों में चीजें आगे बढ़ रही हैं और गतिविधियां देखी जा रही हैं, वे सड़क और राजमार्ग, रेलवे जैसे ढांचागत क्षेत्र, अक्षय उर्जा तथा रक्षा क्षेत्र हैं। हालांकि कुल मिलाकर व्यापार विश्वास सूचकांक सात अंक बढ़कर 64.3 रहा जो पिछले दौर में 56.7 था।

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कंपनियों ने पिछले छह महीने के मुकाबले सभी तीन स्तरों अर्थव्यवस्था, उद्योग तथा कंपनी में हल्के से लेकर उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन की बात कही। साथ ही मौजूदा दौर में प्रतिभागी निकट भविष्य संभावनाओं को लेकर अधिक सकारात्मक दिखें। बिक्री, निर्यात तथा रोजगार जैसे मानदंडों को लेकर परिदृश्य में सुधार दिखा लेकिन प्रतिभागी निवेश संभावना तथा लाभ के स्तर में बदलाव को लेकर आशावादी नजर नहीं आए।

इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र में नाममात्र सुधार चिंता का कारण बना हुआ है। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि के आंकड़ें उत्साहजनक नहीं है और यही स्थिति कंपनियों के वित्तीय स्थिति में प्रतिबिंबित होती है। सर्वेक्षण में 58 फीसदी प्रतिभागियों ने आगामी छह महीनों में अधिक बिक्री का अनुमान जताया जबकि पिछले दौर में यह 48 फीसदी था।

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