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FY-17 में कंपनियों का मुनाफा बढ़ सकता है 25%, पिछले साल रोजगार वृद्धि दर सात साल के निम्‍न स्‍तर पर

बेहतर मानसून, नीतिगत दर में कटौती के साथ जिंस कीमतों में सुधार से कंपनियों का मुनाफा वित्‍त वर्ष 2016-17 में करीब 25 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।

Abhishek Shrivastava
Published : April 15, 2016 21:13 IST
FY-17 में कंपनियों का मुनाफा बढ़ सकता है 25%, पिछले साल रोजगार वृद्धि दर सात साल के निम्‍न स्‍तर पर
FY-17 में कंपनियों का मुनाफा बढ़ सकता है 25%, पिछले साल रोजगार वृद्धि दर सात साल के निम्‍न स्‍तर पर

मुंबई। बेहतर मानसून, नीतिगत दर में कटौती के साथ जिंस कीमतों में सुधार से कंपनियों का मुनाफा वित्‍त वर्ष 2016-17 में करीब 25 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल आय घटने के प्रमुख कारणों में जिंसों (धातु तथा कच्चा तेल) की कीमतों में गिरावट, एनपीए में वृद्धि, लगातार दो साल तक मानसून की खराब स्थिति से उपभोक्ता क्षेत्र की वृद्धि पर प्रभाव तथा नीतिगत दरों में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं देना शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार 2016-17 में इनमें से अधिकतर समस्याओं में अनुकूल आधार के साथ सुधार होना है। इसमें कहा गया है, वित्त वर्ष 2016-17 में कर बाद लाभ (शुद्ध लाभ) में 25 फीसदी वृद्धि का अनुमान है और वित्त वर्ष 2017-18 में 24 फीसदी सालाना संचयी वृद्धि दर रहने की संभावना है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सामान्य मानसून की संभावना, ग्रामीण क्षेत्रों पर सरकार का जोर तथा सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन से खपत को मजबूत वृद्धि मिलेगी, जिससे अंतत: कंपनियों को लाभ होगा।

वर्ष 2015 में रोजगार वृद्धि दर सात वर्ष के निम्न स्तर पर  

रत्न आभूषण, हथकरघा, चर्म और वाहन उद्योग समेत देश के आठ प्रमुख श्रमगहन उद्योगों में पिछले साल रोजगार सृजन सात साल के न्यूनतम स्तर पर रहा। श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार 2015 में इन क्षेत्रों में 1,35,000 रोजगार के अवसर सृजित हुए, जबकि 2009 में 12.8 लाख, 2010 में 8.7 लाख, 2011 में 9.29 लाख, 2012 में 3.21 लाख, 2013 में 4.19 लाख और 2014 में 4.21 लाख रोजगार के अवसरों का सृजन किया गया था।

ब्यूरो जनवरी 2009 से इन तरह का सर्वेक्षण कर रहा है, जिसका उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव का इन आठ क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों के प्रभाव का आकलन करना है। इन क्षेत्रों में वस्त्र एवं परिधान, चमड़ा, धातु, वाहन, रत्नाभूषण, परिवहन, सूचना प्रौद्योगिकी, बीपीओ और हैंडलूम :पावरलूम जैसे चुनिंदा क्षेत्र शामिल हैं।

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