नई दिल्ली। कोरोना वायरस से जंग कई मायनों में इंसान के भविष्य के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकती है। दरअसल वायरस का फैलाव इतना तेज है कि इंसानों को इससे लड़ने के लिए अपनी अब तक की सब जानकारियों को जंग के मैदान में उतारना पड़ रहा है। ये जंग इस लिए भी खास है कि डॉक्टर एक तरफ इसका प्रसार रोकने के लिए चिकित्सा के सबसे पारंपरिक ढंग यानि आइसोलेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं, सैकड़ों सालों से इलाज न मिलने पर मरीजों और सेहतमंद लोगों को अलग थलग रखना ही बचाव का एकमात्र उपाय माना जाता है। दूसरी तरफ वायरस की काट के लिए सबसे आधुनिक हाइटेक तकनीकों का इस्तेमाल मरीजों की जान बचाने के लिए किया जा रहा है। जानकार मान रहे हैं कि कोरोना इन सभी हाईटेक तकनीकों की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है।
नॉन कॉन्टेक्ट डिवाइस (थर्मल गन): जितनी जल्दी कोरोना ने अपना विस्तार किया उतनी ही तेजी के साथ थर्मल गन या थर्मामीटर गन भी लोगों की आम जिंदगी का हिस्सा बन गई है। बिना संपर्क में आए लोगों का तापमान जानने की जरूरत से ही थर्मल गन का इस्तेमाल सिर्फ कुछ महीने में दुनिया के हर हिस्से में दिखने लगा है। माना जा रहा है कि कोरोना के खत्म होने के बाद भी थर्मामीटर गन न केवल आम हो जाएंगी साथ ही आने वाले समय में इसके और विकसित और सटीक रूप देखने को मिलेंगे।
सुपर कंप्यूटर: वायरस की काट के लिए वैज्ञानिकों ने हाल में फॉर्मूला तलाशने का काम सुपर कंप्यूटर को सौंपा है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक आईबीएम के सुपर कंप्यूटर समिट ने 77 ऐसे संभावित फॉर्मूले तलाशे हैं जिससे कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है। सुपर कंप्यूटर की मदद से प्रयोगशाला में दवा तलाशने का वक्त काफी कम हो जाएगा। अगर सुपर कंप्यूटर की सलाह पर बनी दवा कामयाब रहती है तो आगे नए वायरस की पहचान के साथ ही फॉर्मूला तलाशने का काम सुपर कंप्यूटर को मिल सकता है।
रोबोट और ड्रोन: कोरोना की जंग में साफ हो गया है कि आने वाले समय में रोबोट्स और ड्रोन हेल्थकेयर सिस्टम का अहम हिस्सा बनने जा रहे हैं। चीन में कोरोनों से लड़ने में जितनी मदद डॉक्टरों और नर्सों ने की है उतनी ही मदद रोबोट्स ने भी की है। बेहद गंभीर मामलों में मरीजों को दवा या सामान पहुंचाने, सफाई करने या फिर ब्लड सैंपल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम रोबोट्स ही संभाल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो रोबोट्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कचरे के निपटान में किया जा रहा है भारत में भी कई जगहों पर प्रोयोगिक तौर पर रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत में केरल की प्रदेश सरकार ने इसी काम के लिए स्टार्टअप असिमोव के साथ करार किया है।
मोबाइल एप: कोरोना पर लगाम लगाने के लिए सिंगापुर की एक पहल जल्द ही दुनिया भर के देश अपने यहां लागू कर सकते हैं। दरअसल सिंगापुर सरकार ने ट्रेस टुगेदर नाम से एक ऐसा एप बनाया है जिसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसके करीब कोरोना को कोई मरीज या संदिग्ध तो नहीं है। दरअसल ये एप मरीज या संदिग्ध की जानकारी रखता है और उसके करीब आने वाले सभी मोबाइल फोन को उसका पता चल जाता है।