नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि शिक्षा और शोध में सहयोग भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों का ‘एक सबसे अहम पहलू’ है। दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने और नागरिक उड्डयन में सहयोग सहित छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा, “दोनों ही देश यह स्वीकार करते हैं कि हमारे समाज की समृद्धि के लिए शिक्षा तथा नवाचार का महत्वपूर्ण स्थान है।” उन्होंने कहा, “यह विस्मित करने वाला नहीं है, इसलिए शिक्षा तथा शोध में सहयोग हमारे बीच के संबंधों का एक सबसे अहम पहलू है।”
समझौतों के आदान-प्रदान के बाद मोदी तथा टर्नबुल ने वीडियो-क्रांफ्रेंसिग के माध्यम से हरियाणा के गुरुग्राम स्थित टेरी के हरित परिसर में टेरी-डिकिन नैनोबायोटेक्नोलॉजी सेंटर (टीडीएनबीसी) का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया और कहा, “टीडीएनबीसी, अत्याधुनिक विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो दोनों देशों के बीच हो रहा है।”
टीडीएनबीसी भारत में नैनोबायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में शोध का एक प्रमुख केंद्र है। यह केंद्र टीडीएनबीसी, भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के डिकिन यूनिवर्सिटी (डीयू) के सहयोग से संयुक्त पीएडी पाठ्यक्रम चलाता है, जिसके लिए चयनित छात्रों को छात्रवृत्ति, टीडीएनबीसी तथा डीयू द्वारा संयुक्त मार्गदर्शन तथा डिकिन यूनिवर्सिटी द्वारा डिग्री दी जाती है।
मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया-भारत का शोध कोष लगभग 10 करोड़ डॉलर का है, जो नैनोटेक्नोलॉजी, स्मार्ट सिटी, बुनियादी ढांचा, कृषि तथा रोग नियंत्रण जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “विटामिन ए युक्त केलों के लिए हमारा संयुक्त विकास परीक्षण के दौर में पहुंच गया है। हमारे वैज्ञानिक अत्यधिक पोषक दालों तथा उनकी विभिन्न किस्मों के विकास के लिए सहयोग कर रहे हैं।”
दोनों देशों के बीच छात्रों के आदान-प्रदान पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में भारत के 60,000 से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, वहीं भारत में अध्ययन के लिए आने वाले ऑस्ट्रेलियाई छात्रों की भी संख्या बढ़ रही है। मोदी ने कहा, “भारत में विश्वस्तरीय संस्थानों के निर्माण की युवाओं की आकांक्षा पूरी करना हमारी सरकार के उद्देश्यों में से एक है।” उन्होंने कहा कि टर्नबुल से इस बारे में बात हुई है कि ऑस्ट्रेलिया के कौन-कौन से विश्वविद्यालय भारत के इस उद्देश्य को पूरा करने में अपना योगदान कर सकते हैं।