नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति जल्द ही मेक इन इंडिया हेलीकॉप्टर्स में सफर करते नजर आएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा में उपयोग होने वाले वीएच 92 सुपर हॉक हेलीकॉप्टर्स के पहले छह केबिन का निर्माण भारत में शुरू हो चुका है। नई पीढ़ी के इन हेलीकॉप्टर्स का निर्माण सिकोरस्की एस-92 तकनीक पर किया जा रहा है। इसके केबिन, कुछ अन्य पार्ट और वायर हारनेसेस का निर्माण टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के साथ मिलकर हैदराबाद में किया जाएगा। इंडिया स्ट्रेटेजिक डिफेंस मैग्जीन की रिपोर्ट के मुताबिक टीएएसएल की हैदराबाद यूनिट में इन हेलीकॉप्टर्स के केबिन का निर्माण हाल ही में शुरू किया गया है।
वीएच वैरिएंट अति आधुनिक वर्जन होगा। एच-92 में ज्यादा ताकतवर दो इंजन होंगे, इसमें फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम और अति आधुनिक कम्यूनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सुरक्षा तकनीक होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति दुनिया में सबसे सुरक्षित व्यक्ति हैं और टाटा द्वारा निर्मित एल्युमिनियम और मेटल केबिन उनकी सुरक्षा चक्र और मजबूत करेगा। इससे जुड़ी अधिक जानकारी मिलना असंभव है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति के एयरक्राफ्ट संबंधी जानकारी किसी के साथ साझा नहीं की जा सकती।
कठिन परीक्षण और जांच के बाद यह संभव है कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति व्हाइट हाउस से मेड इन इंडिया चॉपर्स से ही उड़ान भरें। टीएसीएसएल एक साल में 48 केबिन का निर्माण करेगी, जिसमें से छह केबिन का चयन वीवीआईपी हेलीकॉप्टर्स के लिए यूएस सीक्रेट सर्विस, मरीन कॉर्प और लॉकहीड मार्टिन के एक्सपर्ट करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर फ्लीट की देखरेख यूएस मरीन कॉर्प द्वारा की जाती है और राष्ट्रपति जिस हेलीकॉप्टर में यात्रा करते हैं उसे मरीन वन के नाम से पुकारा जाता है। इन छह हेलीकॉप्टर्स में से कम से कम पांच हेलीकॉप्टर्स राष्ट्रपति के साथ जाते हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति की विदेश यात्रा के दौरान भी यह हेलीकॉप्टर्स उनके साथ जाते हैं। यह सभी हेलीकॉप्टर्स सेटेलाइट के जरिये उनके ऑफिस से सीधे जुड़े होते हैं।
सिकोरस्की ने मई 2014 में 1.24 अरब डॉलर वाले छह नई पीढ़ी के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर्स के निर्माण का ऑर्डर हासिल किया था। सिकोरस्की 1957 से अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए हेलीकॉप्टर्स का निर्माण कर रही है। वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति वीएच-3डी और वीएच-69 हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कि सिकोरस्की का पुराना वर्जन हैं। इस कदम से अमेरिका और भारत के बीच रणनीतिक संबंध मजबूत होने के संकेत मिलते हैं।
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