नई दिल्ली। आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिये सबसे अहम है देश के द्वारा नई तकनीक की खोज या मौजूदा तकनीक को और बेहतर बनाना । देश के वैज्ञानिकों के द्वारा किसी भी नई तकनीक या तरीके की खोज जो देश की किसी समस्या को दूर करने में समर्थ हो देश को और अर्थव्यवस्था को दूसरे देशों और अर्थव्यवस्थाओं से बढ़त बनाने में काफी मदद करती है। यही वजह है कि भारत सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर अभियान के साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर भी लगातार फोकस किया जा रहा है। अब स्थिति ये हैं कि लगभग हर हफ्ते वैज्ञानिक एक नई तकनीक के साथ सामने आ रहे हैं। आइये नजर डालते हैं इस हफ्ते सामने आई भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर
थर्मल पावर प्लांट की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिये तकनीक विकसित
इस हफ्ते भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐलान किया है कि उन्होने एक ऐसी तकनीक खोजी है जो थर्मल पावर प्लांट्स के हिस्सों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिरी मंत्रालय ने जानकारी दी है कि लेजर-बेस्ड क्लैड कोटिंग तकनीक फिलहाल मौजूद तकनीकों के मुकाबले बॉयलर पार्ट्स की लाइफ को 2 से 3 गुना बढ़ा सकती है। मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा समय में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए मरम्मत के लिये होने वाले शटडाउन या फिर काम के दौरान हिस्सों के खराब होने से काफी नुकसान होता है। इस चुनौती से निपटने के लिये इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स के डॉ एस. एम. शरीफ के नेतृत्व में एक टीम ने कोटिंग तकनीक विकसित की है जो बॉयलर के पार्ट्स का जीवन बढ़ाने में मदद करती हैं। जिससे लागत में काफी कमी आती है वहीं ऑपरेशन काफी लंबे समय तक जारी रखे जा सकते हैं। तकनीक को भारतीय पेटेंट मिल चुका है। इस तकनीक को किफायती बनाने के लिये उद्योगों को तकनीक का ट्रांसफर जल्द किया जा सकता है।
बैटरी की क्षमता बढ़ाने के लिये खास कंपोजिट मैटिरियल की खोज
ऊर्जा क्षेत्र में फिलहाल सबसे ज्यादा फोकस पावर स्टोरेज यानि बैटरी की क्षमता को बढ़ाने पर दिया जा रहा है। क्योकि इसी की मदद से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इसी कड़ी में भारत के वैज्ञानिकों ने एक खास उपलब्धि हासिल की है। बिट्स पिलानी के डॉ अंशुमान दलवी के नेतृत्व में रिसर्चर की एक टीम ने एक ऐसा कंपोजिट मैटिरियल विकसित किया है जो ऊंचे तापमान पर भी स्टेबल रह सकता है। सरकार के द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक एनर्जी स्टोरेज की मौजूदा तकनीकों की अपनी सीमायें है, जिसमें लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट और बेहद कम दायरे के तापमान में काम करने का क्षमता शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने इसी दिशा में ऊर्जा भंडारण में लीथियम आयन बैटरी के लिये ठोस इलेक्ट्रोलाइट विकसित किया है जो ऊंचे तापमान पर भी स्थिर रह सकता है। सरकार के मुताबिक ये खोज सेना और अंतरिक्ष में भारत की क्षमता को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगी।
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