नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सोमवार (5 अक्टूबर) को जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक के बाद सीतारमण ने कहा कि आज रात 20,000 करोड़ रुपये का कंपनसेशन सेस राज्यों के बीच वितरित किया जाएगा। कोरोना और लॉकडाउन के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे राज्यों की तरफ से वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) कंपनसेशन की उठ रही मांग के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि क्षतिपूर्ति उपकर से मिले 20,000 करोड़ रुपए का वितरण राज्यों के बीच किया जाएगा। वहीं जो 24 हजार करोड़ का IGST पहले इकट्ठा हुआ था, वो अगले हफ्ते के अंत तक राज्यों को दे दिया जाएगा।
जीएसटी परिषद की 12 अक्टूबर को फिर से होगी बैठक
बैठक के बाद वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने जून 2022 के बाद भी क्षतिपूर्ति उपकर जारी रखने का निर्णय किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की जीएसटी कर उपकर संग्रह में कमी तथा राज्यों की क्षतिपूर्ति पर आगे और विचार-विमर्श के लिये 12 अक्टूबर को बैठक होगी। बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने कहा कि केवल 20 राज्यों ने विकल्प-1 को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "हमें आगे बात करने की जरूरत है।" वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद की 12 अक्टूबर को फिर से बैठक होगी और जीएसटी मुआवजे के लिए उधार के विकल्पों पर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
छोटे करदाताओं को राहत
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने बताया कि पहली जनवरी से, करदाता जिनका वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें मासिक रिटर्न यानी जीएसटीआर 3 बी और जीएसटीआर-1 दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। वे केवल तिमाही रिटर्न दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि मासिक आधार के बजाय तिमाही आधार पर छोटे करदाताओं के लिए रिटर्न बनाने का जीएसटी परिषद का निर्णय छोटे करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत होगी। अजय भूषण पांडे ने कहा कि जीएसटी परिषद ने इसरो और एंट्रिक्स की उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को माल एवं सेवा कर दायरे से छूट देने का निर्णय किया है।
21 राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर किया केंद्र का समर्थन
बता दें कि, गैर-बीजेपी शासित राज्य क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र के साथ असहमत हैं। वहीं बीजेपी शासित राज्यों समेत कुल 21 राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है। हालांकि पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा कर्ज उठाने के दिये गये विकल्प को अब तक नहीं चुना है।
चालू वित्त वर्ष में राज्यों को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमी आने का अनुमान है। केंद्र सरकार की गणना के हिसाब से इसमें महज 97 हजार करोड़ रुपये की कमी के लिये जीएसटी का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये की कमी कोविड-19 के कारण है। ऐसे में केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिया था। इसके तहत राज्य या तो रिजर्व बैंक के द्वारा दी गयी विशेष सुविधा से 97 हजार करोड़ रुपए का कर्ज उठा सकते हैं या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकते हैं। (इनपुट- ANI)