नई दिल्ली। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा है कि भारत में कंपनियों की रेटिंग या साख के और नीचे जाने का जोखिम है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यदि कंपनियों की आय में सुधार 18 महीने से अधिक लंबा खिंचता है, तो उनकी साख और घट सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंगस ने बयान में कहा कि भारतीय कंपनियों की करीब 35 प्रतिशत क्रेडिट रेटिंग्स का परिदृश्य या तो नकारात्मक है या वह नकारात्मक प्रभाव के साथ निगरानी में है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के साख विश्लेषक नील गोपालकृष्णन ने कहा कि ज्यादातर रेटिंग्स के मामले में हमारा मानना है कि कंपनियों की आय अगले 12 से 18 माह में सुधर जाएगी। यदि यह सुस्ती इससे अधिक लंबी खिंचती है, तो कंपनियों की रेटिंग के और नीचे जाने का जोखिम रहेगा।
गोपालकृष्णन ने कहा कि नकारात्मक परिदृश्य और निगरानी वाली सात में से दो कंपनियों की रेटिंग्स अव्यवहार्य ग्रेड श्रेणी में है। इन कंपनियों की आमदनी को लेकर अधिक उतार-चढ़ाव रहने की आशंका है। ऐसे में इनकी रेटिंग के नीचे जाने का जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारतीय कंपनियां साख में कमी को लेकर बेहतर स्थिति में नहीं हैं। इसकी वजह है कि कि इन कंपनियों का पूंजीगत व्यय ऋण वित्त पोषित है। इसके अलावा इन कंपनियों द्वारा पिछले दो-तीन साल में अधिग्रहण किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कंपनियों की रेटिंग पहले ही नीचे आ रही है। उदाहरण के लिए एकल बी रेटिंग वाली कंपनियों की संख्या 2019 के अंत तक बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई, जो 2016 में 13 प्रतिशत थी।