नई दिल्ली। वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने सोने पर आयात शुल्क की समीक्षा की वकालत की है। उन्होंने कहा कि कारोबार जगत की उचित जरूरतों को नजरअंदाज किए बिना मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की आड़ में होने वाले खरीद-बिक्री कारोबार पर अंकुश लगाने के संदर्भ में यह समीक्षा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौतों के संदर्भ में बार-बार यह मुद्दा उठता है। वास्तव में सोने पर आयात शुल्क का मुद्दा इसके मूल में है। यह मुद्दा भारत सरकार के संज्ञान में है। तेवतिया ने कहा कि इसका असर दोनों तरफ पड़ता है और मेरा मानना है कि इस मामले में शुल्क मुद्दे पर संतुलन बिठाया जाना चाहिए। निश्चित रूप से इसे हल किया जाना चाहिए क्योंकि जब तक आर्बिट्रेज होगा, लोग प्रणाली का फायदा उठाने का प्रयास करेंगे।
वाणिज्य सचिव का यह बयान ऐसे समय आया है जब दक्षिण कोरिया से अचानक सोने का आयात बढ़ा है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच जनवरी, 2010 से वृहद मुक्त व्यापार करार (एफटीए) है। सरकार ने अगस्त में दक्षिण कोरिया से सोने और चांदी का आयात घटाया है, जिससे देश में बहुमूल्य धातुओं का आयात कम किया जा सके। एक जुलाई से तीन अगस्त के बीच दक्षिण कोरिया से सोने का आयात बढ़कर 33.86 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह आंकड़ा 7.04 करोड़ डॉलर था।
जीजेईपीसी के चेयरमैन प्रवीणशंकर पांड्या ने स्वर्ण शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए सोने पर आयात शुल्क की दर को 10 से घटाकर 4-5 प्रतिशत करने की जरूरत बताई थी। उनका कहना था कि इससे सोने की तस्करी को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि एफटीए की काफी सावधानी से समीक्षा किए जाने की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने दक्षिण कोरिया तथा इंडोनेशिया के साथ करार का उदाहरण दिया।