नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय ने बसों और ट्रकों (लॉरी) के लिए चीनी टायरों पर प्रतिपूरक शुल्क लगाने की सिफारिश की है। इस कदम का मकसद घरेलू कंपनियों को पड़ोसी देश से होने वाले सस्ते आयात से बचाना है।
मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने जांच में पाया कि सस्ते आयात से बचने के लिए प्रतिपूरक शुल्क लगाना जरूरी है। डीजीटीआर ने एक अधिसूचना में कहा कि प्राधिकरण चीन से बसों और लॉरी के न्यूमेटिक टायरों के आयात पर प्रतिपूरक शुल्क लगाने की सिफारिश करता है।
इसमें कहा गया है कि चूंकि उत्पाद पर पहले से डंपिंग रोधी शुल्क लगाया जा रहा है, ऐसे में प्रतिपूरक शुल्क डंपिंग रोधी शुल्क को घटाकर लगाया जाएगा। इस बारे में अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय करेगा।
ऑटोमोटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन की शिकायत के बाद डीजीटीआर ने जांच की। संगठन ने घरेलू उत्पादकों की तरफ से इन उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने का आवेदन दिया था। इन टायरों का चीन से आयात 2016-17 में बढ़कर 81,896 टन हो गया, जो 2014-15 में 30,665 टन था।