नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये 6 अक्टूबर को संबंधित पक्षों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करेंगे। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि बैठक का जमीनी कार्य करने के लिए छह समूह गठित किए जाएंगे। वे अपनी रिपोर्ट मंत्री को सौंपेंगे जिस पर 6 अक्टूबर को चर्चा होगी। समूह में व्यापार, उद्योग एवं सरकार के सदस्य शामिल होंगे।
रिपोर्ट में भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला से जोड़ने, विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप निर्यात योजनाओं को बनाने, श्रम गहन क्षेत्रों के निर्यात को बढ़ावा देने, आईटी तथा औषधि जैसे ज्ञान आधारित उद्योग, सेवा निर्यात और ई-कॉमर्स कैटेगरी में निर्यात को आगे बढ़ाने के बारे में उपाय सुझाए जाएंगे।
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निर्यातकों के समक्ष वस्तु एवं सेवा कर GST और WTO से जुड़े मामले समेत अन्य मसले हैं। इस लिहाज से यह बैठक महत्वपूर्ण है। WTO के नियमों के अनुसार, जब एक सदस्य देश की प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय लगातार तीन साल 1,000 डॉलर को पार करती है, वह व्यापारियों को निर्यात सब्सिडी नहीं दे पाएगा।
इसी प्रकार, अमेरिका, तुर्की और जापान समेत WTO सदस्य देशों ने कपड़ा और परिधान क्षेत्रों पर निर्यात सब्सिडी समाप्त करने को कहा है क्योंकि विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों के अनुसार, भारत का निर्यात लगातार दो साल विश्व व्यापार की सीमा 3.25 प्रतिशत को पार कर गया है।
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वाणिज्य मंत्रालय विदेश व्यापार नीति की समीक्षा की भी तैयारी कर रहा है। इसे इस महीने पेश करने की योजना थी लेकिन इसकी संभावना कम है। देश का निर्यात अगस्त महीने में 10.29 प्रतिशत बढ़कर 23.81 अरब डॉलर रहा।