नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और घटते एक्सपोर्ट में तेजी लाने के लिए निर्यातकों से विशिष्ट सुझाव लेकर आने को कहा है। जिन्हें वित्त सहित विभिन्न मंत्रालयों के समक्ष उठाया जा सके। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल (ईपीसी) के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की और निर्यात को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए सुझाव मांगे। बैठक के बाद मंत्री ने कहा, मंत्रालय एक्सपोर्ट प्रमोशन से जुड़ी कुछ और चीजें आसान करने के लिए पर्यावरण, कपड़ा, सीमा शुल्क और वित्त विभागों के साथ मामले को आगे बढ़ाएगा। इससे निर्यातकों के दृष्टिकोण से कारोबार और आसान हो सकेगा।
मुद्दों को सुलझाने का दिया भरोसा
मंत्री ने परिषद के सदस्यों से अपने संबद्ध सदस्यों के साथ बात करने और उनके सुझाव के आधार पर मंत्रालय से संबद्ध क्षेत्र में हस्तक्षेप की मांग करने को कहा है। निर्मला ने उन्हें भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान संबद्ध पक्षों के साथ विचार-विमर्श से किया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि ईपीसी द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों पर उनका मंत्रालय गौर करेगा और सीमा शुल्क से जुड़े मामलों के लिये विदेश एवं वित्त मंत्रालय से संपर्क करेगा। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि बैठक में उठाए गए अन्य मुद्दों में अन्य देशों के गैर-शुल्क अवरोध, मुद्रा की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव, विशेष आर्थिक क्षेत्र, सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ बातचीत में समस्या एवं सेवाकर से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
बजट में उठाए जा सकते हैं कदम
दो घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक के बाद मंत्री ने कहा, निर्यात प्रोत्साहन में सहायक कई मुद्दों की पहचान की गई है और आगामी बजट में जो मुद्दे शामिल किए जा सकते हैं, वे भी उठाए गए। निर्मला ने कहा कि निर्यातकों द्वारा देश के निर्यात पर आसियान एफटीए के प्रभाव का भी मुद्दा उठाया गया जिसमें कहा गया कि कई क्षेत्रों को लगता है कि उनके क्षेत्र से जुड़े उत्पाद शून्य शुल्क पर देश में आ रहे हैं, जबकि निर्यात के मामले में यह व्यवस्था लागू नहीं है। गौरतलब है कि कि वाणिज्य मंत्रालय निर्यात बढ़ाने के उपायों पर चर्चा के लिए भागीदारों के साथ परामर्श कर रहा है। दिसंबर, 2014 से ही निर्यात में गिरावट का रख है।