नयी दिल्ली। सरकार ने वेतन संहिता 2019 को अधिसूचित कर दिया है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर 50 करोड़ श्रमिकों को अनिवार्य रूप से न्यूनतम वेतन मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। राष्ट्रपति ने आठ अगस्त को इसे मंजूरी दे दी थी। इसके बाद सरकार ने इस संहिता को अधिसूचित कर दिया।
वेतन संहिता विधेयक, 2019 को 30 जुलाई को लोकसभा से मंजूरी मिली थी। उसके बाद दो अगस्त को विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया था। यह विधेयक सरकार को श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन लागू करने में मदद करेगा। साथ ही इससे कर्मचारियों को वेतन भुगतान में विलंब के मुद्दे को हल करने में मदद मिलेगी।
इस वेतन संहिता में चार श्रम कानूनों... न्यूनतम वेतन कानून, वेतन भुगतान कानून, बोनस भुगतान कानून, समान भत्ता कानून को समाहित किया गया है। नया कानून बनने के बाद ये चारों अधिनियम समाप्त हो गए। इस नए कानून के बाद ट्रेड यूनियनों, नियोक्ताओं और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की त्रिपक्षीय समिति देशभर में कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन तय करेगी।
इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पुरुषों और महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर के बीच वेतन को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सके। इस संहिता के तहत जहां सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाएगा वहीं उनको समय पर वेतन भुगतान भी सुनिश्चित हो सकेगा।