नई दिल्ली। भारत सरकार सोलर एनर्जी के फायदे और उसकी ताकत से अच्छी तरह वाकिफ है और यही कारण है कि जवाहर लाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के तहत सोलर एनर्जी जनरेशन बढ़ाकर 20,000 मेगावाट किया गया है, जो 2014 में 2600 मेगावाट था।
कोचीन एयरपोर्ट ने सरकार की इस योजना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह दुनिया का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जो अपनी 100 फीसदी ऊर्जा जरूरत को सोलर एनर्जी से पूरा करता है। यह एयरपोर्ट भारत का 7वां सबसे व्यस्त रहने वाला एयरपोर्ट है और इसने सोलर एनर्जी का उपयोग कर अपना बिजली बिल का खर्च जीरो कर दिया है।
कोचीन एयरपोर्ट की यह सफलता अन्य एयरपोर्ट को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रही है। लाइबेरिया की एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इस प्रक्रिया को समझने के लिए यहां का दौरा किया है। साउथ अफ्रीका का जॉर्ज एयरपोर्ट भी जल्द ही सोलर एनर्जी का उपयोग शुरू करने जा रहा है। इसके अलावा कोलकाता एयरपोर्ट ने 72 एकड़ में सोलर पार्क की स्थापना पर काम शुरू कर दिया है। इस साल जनवरी में केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने कोचीन एयरपोर्ट का दौरा किया था और उन्होंने अन्य एयरपोर्ट से भी ऐसा करने के लिए कहा। 62 करोड़ रुपए खर्च कर कोचीन एयरपोर्ट ने सोलर पावर सिस्टम इंस्टॉल किया है और अब इसे कोई भी इलेक्ट्रीसिटी बिल नहीं देना होगा। कोचीन एयरपोर्ट के अनुसार अगले छह साल में वह बिजली बिल की बचत के जरिये 62 करोड़ रुपए वसूल हो जाएंगे।
कैसे हुआ यह
कोचीन एयरपोर्ट का प्रबंधन बढ़ते बिजली खर्च को लेकर चिंतित था और वे इसका स्थाई समाधान चाहते थे। 2013 में प्रबंधन ने एराइवल टॉवर की छत पर कुछ सोलर पेनल इंस्टॉल किए और इसके बाद उन्होंने एयरक्राफ्ट हैंगर के आसपास और ज्यादा पेनल लगाए। इसके बाद एयरपोर्ट प्रबंधन ने विदेशी कंपनी बॉश को इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल के नजदीक 45 एकड़ क्षेत्र में सोलर पेनल लगाने का ठेका दिया। पिछले साल अगस्त तक सोलर पेनल सिस्टम 48,000 से 50,000 किलोवाट बिजली प्रतिदिन पैदा करने लगे थे, जो कि एयरपोर्ट की प्रतिदिन की जरूरत से बहुत अधिक है। अतिरिक्त बिजली को इलेक्ट्रीसिटी ग्रिड को दी जा रही है, जहां इसका उपयोग अन्य जगह हो रहा है। कोचीन एयरपोर्ट अगले 25 साल के दौरान कोयले से बनने वाली बिजली से पैदा होने वाले 3 लाख टन कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सक्षम होगा।
देश में बढ़ रहा है सोलर एनर्जी का उत्पादन
एशिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क 2014 में गुजरात के पाटन में शुरू किया गया, जो 600 एकड़ में बना है और यह तकरीबन 600 मेगावाट बिजली पैदा कर रहा है। पिछले साल सरकार ने सोलर पावर्ड वाईफाई सिस्टम लॉन्च किया था, जो सोलर एनर्जी के उपयोग से आसानी से हाई स्पीड इंटरनेट को ट्रांसमिट कर सकता है। फॉक्सकॉन, सॉफ्टबैंक और भारती पहले ही भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन के लिए ज्वाइंट वेंचर बनाकर 20 अरब डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं।