मुंबई। आमतौर पर हर साल अप्रैल में देश की सभी कंपनियां अपने-अपने कर्मचारियों का अप्रैजल करती हैं। इसमें कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर सैलरी हाइक और प्रमोशन दिए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक कंपनी ऐसी भी है, जो हर महीने अपने कर्मचारियों का अप्रैजल करती है और उन्हें उनके काम का ईनाम देती है।
जी हां सॉफ्टड्रिंक्स बनाने वाली दुनिया की प्रमुख कंपनी कोका कोला की भारतीय इकाई कोका-कोला इंडिया ने अपनी पैरेंट कंपनी के ग्लोबल विजन के साथ तालमेल बिठाने के लिए अपने वार्षिक परफॉर्मेंस मैनेजमेंट सिस्टम में बदलाव किया है। इससे अब कोका-कोला इंडिया के मैनेजर्स पर वार्षिक परफॉर्मेंस रिव्यू को पूरा करने का दबाव नहीं होगा।
भले ही जीई और माइक्रोसॉफ्ट ने परफॉर्मेंस रेटिंग से दूर हटने में सबसे पहले कदम आगे बढ़ाया हो, लेकिन कोका-कोला ने मासिक फीडबैक मैकेनिज्म को अपनाकर एक लंबी छलांग लगाई है। बेवरेज कंपनी ने तेज वर्किंग स्टाइल को अपनाया है, जहां मैनेजर्स और कर्मचारियों के बीच हर महीने हो रही बातचीत से यह देखा जा रहा है कि कोई सही ट्रैक पर है या फिर कुछ सुधार की जरूरत है।
कोका-कोला इंडिया और साउथ वेस्ट एशिया वीपी-एचआर मनु नारंग वाधवा ने कहा कि यह लक्ष्य हासिल करने के लिए लोगों को गतिशील बनाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। फ्रेमवर्क में लचीलापन सभी को अपना बेस्ट देने के लिए सक्षम बनाता है। कोका-कोला इंडिया के करीब 25,000 कर्मचारी हैं। वाधवा कहते हैं कि आज के कामकाजी लोग वन टाइम प्लान्ड फीडबैक में विश्वास नहीं करते। इसलिए हमने सालाना आधार पर होने वाले प्रोसेस को खत्म कर दिया है, जिसमें लंबे फॉर्म भरने पड़ते थे। धीरे-धीरे नए सिस्टम को आगे बढ़ाया जाएगा। कर्मचारियों के पास अब बदलाव लाने के लिए बराबरी का मौका होगा।