नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया ने बिजली क्षेत्र को इस साल अप्रैल महीने में 3.19 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की जो पिछले वर्ष के इसी माह के मुकाबले 22 प्रतिशत कम है। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण ईंधन की कम मांग के बीच कोयले की आपूर्ति घटी है। कोयला मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार कोल इंडिया ने पिछले साल अप्रैल में 4.09 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की थी। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया देश में बिजली क्षेत्र को ईंधन की मुख्य आपूर्तिकर्ता है। सार्वजनिक क्षेत्र की सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लि.की बिजली क्षेत्र को कोयला आपूर्ति भी अप्रैल महीने में 38.6 प्रतिशत घटकर 28.6 लाख टन रही। एक साल पहले इसी महीने में कंपनी ने बिजली क्षेत्र को 46.
6 लाख टन कोयले की आपूर्ति की थी।
बिजली क्षेत्र कोयले का बड़ा उपभोक्ता है और ‘लॉकडाउन’ के कारण आर्थिक गतिविधियां थमने से बिजली मांग कम हुई जिसका असर ईंधन की मांग पर पड़ा है। इस बीच, कोल इंडिया ने खदानों की ऊपर परत से मिट्टी और पत्थरों को हटाने पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इससे कोल इंडिया मांग बढ़ने के साथ उत्पादन में तेजी ला सकेगी और बेहद कम समय में ग्राहकों को कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकेगी। उल्लेखनीय है कि ओपेन कॉस्ट खानों में कोयले की परत सामने लाने के लिये ऊपर सहत से मिट्टी और पत्थरों को हटाया जाता है। कोल इंडिया का 95 प्रतिशत उत्पादन 171 ‘ओपन कास्ट’ खानों से आता है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की एक रिपोर्ट के अनुसार 30 अप्रैल 2020 की स्थिति के अनुसार बिजलीघरों में 5.089 करोड़ टन कोयला भंडार था जो 31 दिन की जरूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त है। कोल इंडिया खासकर दक्षिणी राज्यों में अपने ग्राहकों के निरंतर संपर्क में है और उन्हें आयातित कोयले की जगह घरेलू ईंधन के उपयोग के लिये प्रोत्साहित कर रही है। कुल आपूर्ति में 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली कोल इंडिया ने 2023-24 तक एक अरब टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है।