नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने बुधवार को कहा कि उसने अपने डम्पर्स में एलएनजी किट को लगाने का काम शुरू कर दिया है। डम्पर्स एक बड़े आकार का ट्रक हैं, जो कोयले की ढुलाई का काम करते हैं। इस कदम से कोल इंडिया को सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी। कंपनी ने अपने एक बयान में कहा कि अपने कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने अपने डम्पर्स में लिक्विफाइड नेचूरल गैस (एलएनजी) किट को लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी हर साल 4 लाख किलोलीटर डीजल का उपयोग करती है और इस पर कंपनी का वार्षिक खर्च 3500 करोड़ रुपये से अधिक है। कंपनी ने गेल (इंडिया) लिमिटेड और बीईएमएल लि. के साथ मिलकर एक पायलेट प्रोजेक्ट के तहत सीएलआई की सब्सिडियरी महानदी कोलफील्ड्स लि.में काम करने वाले दो 100 टन डम्पर्स में एलएनजी किट्स को फिट करने का काम शुरू किया है।
सीआईएल ने मंगलवार को इस पायलेट प्रोजेक्ट की शुरुआत करने के लिए गेल और बीईएमएल के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। एक बार एलएनजी किट सफलतापूर्वक लग जाने और परीक्षण पूरा होने के बाद, ये डम्पर्स दोहरे ईंधन सिस्टम एलएनजी और डीजल पर चलने के लिए उपलब्ध होंगे। एलएनजी के उपयोग के साथ इनका परिचालन किफायती और स्वच्छ होगा।
एलएनजी के उपयोग से डीजल उपभोग में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आएगी और ईंधन की लागत भी लगभग 15 प्रतिशत घट जाएगी। कंपनी ने कहा कि इस कदम से कार्बन उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी आएगी और यदि डम्पर्स सहित सभी मौजूदा हैवी अर्थ मूविंग मशीनों में एलएनजी किट फिट कर दी जाती है तो इससे सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत होगी।
इस पायलेट प्रोजेक्ट के परिणाम के आधार पर सीआईएल अपने डम्पर्स में बड़े स्तर पर एलएनजी किट का उपयोग करने का निर्णय लेगी। कंपनी ने कहा यदि यह पायलेट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो वह केवल एलएनजी इंजन के साथ वाली हैवी अर्थ मूविंग मशीनों को खरीदने की योजना बनाएगी।
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