नई दिल्ली। केंद्रीय कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया का सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियों पर बकाया बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पहुंच गया। सूत्रों ने सोमवार को कहा कि कोल इंडिया इस समय बिजली कंपनियों को कोयला की आपूर्ति नियंत्रित करने की भी स्थिति में नहीं है क्योंकि मांग पिछले कुछ महीनों से कमजोर बनी हुई है। कंपनी सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘बकाया बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है। हमें नहीं पता कि स्थिति कब सुधरेगी। सरकार की तरफ से बिजली उत्पादक कंपनियों को धन सहायता आना अभी बाकी है।’’ इससे पहले, जनवरी में बकाया करीब 12,000 करोड़ रुपये था। सूत्र ने कहा, ‘‘बकाया राशि में ज्यादातर हिस्सा सरकारी बिजली उत्पादक कंपनियों का है और उन पर दबाव के लिये आपूर्ति को युक्तिसंगत बनाना व्यवहारिक नहीं है।’’
सरकार ने हाल ही में सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनियों के लिये 90,000 करोड़ रुपये कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा की है। पिछले वित्त वर्ष में कोल इंडिया का परिचालन गतिविधियों से शुद्ध रूप से नकदी प्रवाह घटकर 4,146 करोड़ रुपये रहा जो 2018-19 में 16,355 करोड़ रुपये था। इस बीच, ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने एक नोट में कहा, ‘‘सरकारी बिजली उत्पादक कंपनियां भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। स्थिति सितंबर से पहले सुधरने नहीं जा रही”
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत कोकिंग कोल, वेस्टर्न कोलफील्ड्स और सेंट्रल कोलफील्ड्स जैसी सब्सिडियरी इकाइयों में नकदी प्रवाह की समस्या गंभीर है। कम आय होने से वे कर्मचारियों के वेतन भुगतान जैसे मामलों में नकदी की समस्या से जूझ रहे हैं।’’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कम आय कुछ सब्सिडियरी इकाइयों के लिये गंभीर मसला है। इकाइयों से बैंकों से अल्पकालीन कर्ज के जरिये काम करने को कहा गया है। कोल इंडिया की इस संकट से पार पाने के लिये बांड जैसे माध्यमों से दीर्घकालीन ऋण लेने की कोई योजना नहीं है। अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ ऐसे समय आया जब बिजली मांग कम थी और कोल इंडिया के खदानों में उत्पादन को बढ़ाया गया था। इससे माल भंडार बढ़ा है। कोल इंडिया की अप्रैल-मई में बिजली क्षेत्र को आपूर्ति सालाना आधार पर 24 प्रतिशत घटकर 6.2 करोड़ टन रही।