नई दिल्ली। अगस्त के महीने में कोयले के आयात में गिरावट देखने को मिली है। पिछले साल के मुकाबले कोयले का आयात 34.9 प्रतिशत घटकर 1.24 करोड़ टन रह गया है। इस दौरान बिजली और सीमेंट क्षेत्रों की मांग में गिरावट से कोयले के आयात में कमी देखने को मिला है। एमजंक्शन के शुरुआती आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। टाटा स्टील और सेल का संयुक्त उद्यम एमजंक्शन एक बी2बी ई-कॉमर्स कंपनी है जो कोयला और इस्पात क्षेत्रों पर शोध रिपोर्ट भी प्रकाशित करती है। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह (अप्रैल-अगस्त) में कोयले का आयात 32.51 प्रतिशत घटकर 7.30 करोड़ टन रह गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 10.82 करोड़ टन था। एमजंक्शन ने कहा कि बिजली और सीमेंट जैसे कोयला उपभोग वाले क्षेत्रों की मांग में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन उनके पास कोयले का पर्याप्त भंडार है। ऐसे में आयात की मांग कमजोर है। यदि यही रुख कायम रहता है, तो इस साल कोयले के आयात में उल्लेखनीय गिरावट आएगी।
अगस्त में कोयले के कुल आयात में नॉन-कोकिंग कोयले का आयात 88.7 लाख टन और कोकिंग कोयले का आयात 21.8 लाख टन रहा। देश के घरेलू कोयला उत्पादन में सार्वजनिक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। सरकार ने कंपनी को चालू वित्त वर्ष में कम से कम 10 करोड़ टन आयातित कोयले को घरेलू उत्पादन से बदलने का लक्ष्य दिया है। देश ने 2019-20 में 24.71 करोड़ टन कोयले का आयात किया था। यह इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के 23.53 करोड़ टन से करीब पांच प्रतिशत अधिक है।
लॉकडाउन की वजह से मार्च के बाद बिजली की खपत में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। जिससे कंपनियों की कोयले की खपत में भी तेज गिरावट देखने को मिली है। इस वजह से कंपनियों के कोयला स्टॉक के खाली होने की रफ्तार भी घट गई। स्टॉक में कोयले के रहने और मांग के अगस्त तक पिछले साल के स्तर से नीचे ही बने रहने से कोयले के आयात पर असर देखने को मिला।