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बिजली उत्पादन के लिए नहीं होगी कोयले की किल्लत, केन्द्रीय मंत्री ने दिया आश्वासन

केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने जानकारी दी गयी कि थर्मल पावर प्लांट्स को 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति की गयी है। इसके साथ ही स्टॉक में सुधार भी शुरू हो गया है। 

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 13, 2021 16:19 IST
थर्मल पावर प्लांट्स...- India TV Paisa
Photo:PTI

थर्मल पावर प्लांट्स के लिये बढ़ी कोयले की सप्लाई

नई दिल्ली।  देश के बिजली उत्पादक संयंत्रों में कोयले की कमी से जुड़े मामले में केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बुधवार को आश्वासन दिया कि विद्युत उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति में कोई संकट नहीं होगा। ये बात उन्होने कोरबा में कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा, दीपका और कुसमुंडा खदानों का जायजा लेने से पहली कही। 

राज्यों के द्वारा कोयले की कमी का दावा करने से जुड़े सवाल पर कोयला और खान मंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस पर राजनीति नहीं करना चाहता। हम पहले से ही कुल आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज, बिजली उत्पादन के लिए 11 लाख टन कोयले की आवश्यकता है और हम पहले ही 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति कर चुके हैं। इसकी वजह से स्टॉक भी बढ़ रहा है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि देश में बिजली उत्पादन के लिए आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं होगी।’’ जोशी ने कहा कि वह एसईसीएल की खदानों का जायजा लेने और वहां उत्पादन में तेजी लाने के लिए चर्चा करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “जहां तक आवश्यकता का सवाल है, बिजली मंत्रालय ने 19 लाख टन (बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए) और 20 (अक्टूबर) के बाद 20 लाख टन की आपूर्ति की मांग रखी थी। उन्होने जानकारी दी कि कल ही थर्मल पावर प्लांट को 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति की गयी है। ’’ 

मंगलवार को, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कोयला आपूर्ति और बिजली उत्पादन की स्थिति की समीक्षा की, क्योंकि सरकार कई राज्यों में ऊर्जा संबंधी संकट को कम करने के तरीकों पर विचार कर रही है। सूत्रों ने पहले कहा था कि कोयला मंत्रालय को कोयले की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए कहा गया है, जबकि रेलवे को कोयला ईंधन, बिजली संयंत्रों तक पहुंचाने के लिए रेक उपलब्ध कराने को कहा गया है। कोयले की कमी ने राजस्थान से लेकर केरल तक राज्यों को अलग-अलग समय में बिजली कटौती करने को मजबूर किया है। कोयले से चलने वाले लगभग दो-तिहाई बिजली संयंत्रों में एक सप्ताह या उससे कम समय का भंडार था, लेकिन कोयला मंत्रालय ने पहले कहा था, ‘‘बिजली आपूर्ति में व्यवधान का कोई भी डर पूरी तरह से गलत है’’। मांग को पूरा करने के लिए राज्यों को एक्सचेंजों से ऊंची दरों पर बिजली खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 

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