नई दिल्ली। बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति अक्टूबर में 27.13 प्रतिशत बढ़कर 5.97 करोड़ टन पर पहुंच गई। आयात कीमतों में जबर्दस्त बढ़ोतरी के बीच बिजली की मांग बढ़ने से क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति में बढ़ोतरी हुई है। देश के कई ताप बिजली संयंत्र इस समय कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर में बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 4.68 करोड़ टन रही थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने स्पॉन्ज आयरन क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति में हालांकि 29.2 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 6.5 लाख टन से घटकर 4.6 लाख टन पर आ गई। सीमेंट क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति 6.8 लाख टन से 4.7 लाख टन रह गई।
इस्पात और सीमेंट के अलावा अन्य क्षेत्रों को भी कोयले की आपूर्ति घटकर 41.9 लाख टन रह गई, जो एक साल पहले समान महीने में 67.1 लाख टन थी। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हाल में कोल इंडिया और उसकी सब्सिडियरीज को यह सुनिश्चित करने को कहा था कि नवंबर के अंत तक ताप बिजली घरों के पास कम से कम 18 दिन का कोयला भंडार रहे। घरेलू कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक है। कोल इंडिया अस्थायी रूप से बिजली उत्पादकों को कोयले की आपूर्ति में प्राथमिकता दे रही है। जोशी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनियों के प्रमुखों को इसे हासिल करने के लिए संशोधित लक्ष्य निर्धारित करने और विस्तृत रणनीति बनाने को भी कहा था।
वहीं इसी हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिजली और कोयला मंत्रालय के पूंजीगत व्यय की प्रगति की समीक्षा की और उनसे परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से करने को कहा। उन्होने साफ किया कि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं सरकार के लिए प्राथमिकता हैं। अक्टूबर के महीने में ही कोयले की कमी की वजह से कई पावर प्लांट में कोयले का भंडार गंभीर स्थिति में पहुंच गया था। आयातित कोयले की कीमतें तीन गुना होने की वजह से भी कई पावर प्लांट में उत्पादन ठप हो गया था। हालांकि सरकार ने उस वक्त कोयले की किल्लत से मना किया था, सरकार के मुताबिक बरसात की वजह से लाने ले जाने की दिक्कत और राज्य सरकारों के द्वारा समय पर स्टॉक न रखने से भंडार गंभीर स्थिति में पहुंच गये थे।