मुंबई। दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश भारत में 2020 तक सालाना दूध उत्पादन में 30 लाख टन की हानि होने की आशंका है। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दूध उत्पादन का नुकसान होगा बल्कि इससे प्रति व्यक्ति उपभोग में भी कमी आएगी। 2015-16 के दौरान में 16 करोड़ टन दूध उत्पादन हुआ है।
भारतीय डेयरी संघ (पश्चिम क्षेत्र) द्वारा आयोजित 45वें डेयरी उद्योग सम्मेलन में उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि देश का दूध उत्पादन लगातार बढ़ रहा है और 2015-16 में यह 16 करोड़ टन रहा। विशेषज्ञों ने राय जताई कि बढ़ते तापमान की वजह से विशेषरूप से मिलीजुली नस्ल की गायों पर पड़ने वाले असर की वजह से घरेलू मांग को पूरा करना मुश्किल होगा और अंतत: प्रति व्यक्ति खपत में कमी आएगी।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन दिलीप रथ ने कहा, डेयरी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके दोनों से प्रभावित होगा। तापमान में परिवर्तन से पशुओं पर प्रभाव की वजह से दूध उत्पादन पर असर पड़ेगा। गर्मी के दबाव से पशुओं की प्रजनन की क्षमता पर भी बुरा असर होता है।
- अनुसंधान से पता चला है कि गर्मी की वजह से पशुओं की दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है।
- इसके अनुसार गर्म और ठंडी हवाओं दोनों का गाय भैंस की दूध देने की क्षमता पर असर पड़ता है।
- रथ ने कहा कि हमें अग्रसारी तरीके से अपने दुग्ध उत्पादकों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से बचाना होगा।
- भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस मामले में यह आत्मनिर्भर है।
- वैश्विक दूध उत्पादन में भारत का हिस्सा 18 प्रतिशत का है।
- रथ ने कहा कि बाजार शोध रिपोर्टों के अनुसार दूध और दूध उत्पादों के भारतीय बाजार में सालाना 15 प्रतिशत की दर से वृद्धि की संभावना है।
देश में दूध उत्पादन बढ़कर 10.542 करोड़ टन
- देश में दूध का उत्पाद इस वित्त वर्ष में अब तक 10.542 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।
- जबकि वार्षिक लक्ष्य 16.374 करोड़ टन का है।
- 2015-16 में कुल दूध उत्पादन 15.55 करोड़ टन रहा था।
- 2016-17 के मानसून सीजन जुलाई अक्तूबर में दूध का उत्पादन 4.38 प्रतिशत बढ़कर 5.450 करोड़ टन हो गया।
- एक साल पहले की अवधि में 5.221 करोड़ टन था।