कोलकाता: खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनी कोल इंडिया लि.(सीआईएल) बढ़ी हुई लागत और वेतन में लंबित बदलाव के प्रभाव को कम करने के लिए सूखे ईंधन की कीमतों में कम से कम 10-11 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। कोलकाता की खनन कंपनी ने वर्ष 2018 में आखिरी बार कोयला की कीमतों में वृद्धि की थी।
इसका मौजूदा औसत विनियमित मूल्य प्राप्ति 1,394 रुपये प्रति टन है। सूत्रों ने कहा, "ईंधन आपूर्ति समझौते के तहत पिछले कुछ वर्षों से कोयले की कीमत में कोई वृद्धि नहीं हुई है। सभी जगह पर वेतन में बदलाव की वजह से वृद्धि हुई है। कुल आय में कमी से बचने के लिए न्यूनतम 10-11 प्रतिशत की वृद्धि की जरूरत है।"
उन्होंने कहा, "कोल इंडिया ने इस मामले में बोर्ड के सदस्यों के साथ अनौपचारिक रूप से चर्चा की है और उनमें से अधिकांश ने कोयले की कीमतों में वृद्धि की आवश्यकता को स्वीकार किया है।" इससे पहले कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने हाल में कहा था कि कंपनी की लागत बढ़ गई है, इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं है कि उसे सूखे ईंधन की कीमतों में वृद्धि नहीं करनी चाहिए।