नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि.(सीआईएल) ने शनिवार को कहा कि उसने एक सॉफ्टवेयर पेश किया है जो भू-पर्पटी के नीचे कोयले की पतली परतों की पहचान करने और निष्कर्षण प्रक्रिया के दौरान भूकंपीय सर्वेक्षण का इस्तेमाल करके जीवाश्म ईंधन के संसाधन के आकलन में सुधार करने में मदद करेगा। यह सॉफ्टवेयर पेश किया जाना इस वजह से महत्व रखता है कि कोयला संसाधन अन्वेषण के लिए वर्तमान भूकंपीय सर्वेक्षण तकनीकों में पृथ्वी के नीचे पतले कोयला सीम की पहचान करने से जुड़ी क्षमताएं सीमित हैं। लेकिन अब यह संभव होगा क्योंकि यह नया सॉफ्टवेयर भूकंपीय संकेतों के समाधान को बढ़ाने में मदद करता है जिससे सबसे पतले कोयला सीम का चित्रण होता है।
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महारत्न कंपनी ने एक बयान में कहा, "कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 'स्पेक्ट्रल एन्हांसमेंट' (एसपीई) नाम का एक सॉफ्टवेयर पेश किया है।" सीआईएल की शोध एवं विकास (आरएंडडी) शाखा, सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट (सीएमपीडीआई) ने गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (जीईआरएमआई) के सहयोग से अपनी तरह का यह पहला सॉफ्टवेयर विकसित किया है और कंपनी इसके कॉपीराइट के लिए भी आवेदन दाखिल करेगी। यह 'मेड इन इंडिया' सॉफ्टवेयर कोयले की खोज में लगने वाले समय और लागत को बचाने में भी मदद करेगा और इस प्रकार कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत के मिशन को बढ़ावा देगा। सीआईएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने महारत्न कंपनी के आरएंडडी बोर्ड की उपस्थिति में सॉफ्टवेयर पेश किया।
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