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CII urges govt to lower base price for 5G spectrum auctions
नयी दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से 5जी स्पेक्ट्रम के आरक्षित मूल्य को कम करने का आग्रह किया है। उद्योग मंडल ने कहा कि स्पेक्ट्रम की ऊंची कीमतों से क्षेत्र की वृद्धि रुकेगी और दूरसंचार सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने में दिक्कतें आएंगी। सीआईआई ने आगाह किया है कि प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) कम होने की वजह से दूरसंचार कंपनियों के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की आगामी नीलामी में भाग लेना काफी मुश्किल है। ऊंचे आरक्षित मूल्य से उनकी परेशानी और बढ़ेगी। सीआईआई ने सरकार को इस बारे में ज्ञापन दिया है। 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी इस वर्ष होनी है।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र अपनी तेज वृद्धि के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है और यहां का शुल्क सबसे सस्ता है। इससे गरीब उपयोगकर्ताओं और सुदूर इलाकों के लोगों को दूरसंचार सेवाओं के इस्तेमाल की सहूलियत मिलती है। आरक्षित मूल्य ऊंचा होने से इस विकास की गति रुक जाएगी एवं समाज के गरीब तबके तक दूरसंचार सेवाओं उपलब्ध कराने में भी बाधा आएगी।'
सीआईआई ने स्पेक्ट्रम की कीमत तय करने की वर्तमान व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय बाजार में डॉलर प्रति मेगाहर्ट्ज प्रति आबादी का मॉडल 'अनुचित' है क्योंकि दूरसंचार सेवाओं की कीमत बहुत कम है जबकि आबादी बहुत ज्यादा है। सीआईआई ने इसकी बजाय अन्य बाजारों में स्पेक्ट्रम की कीमतों की तुलना के लिए डॉलर/मेगाहर्ट्ज/राजस्व या डॉलर/मेगाहर्ट्ज/जीडीपी व्यवस्था के इस्तेमाल का सुझाव दिया है।