नई दिल्ली। उद्योग संगठन सीआईआई ने सरकार को अपनी बजट पूर्व सिफारिशों के तहत अगले तीन साल के दौरान आयात शुल्क को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इसे वर्गीकृत बनाने का सुझाव दिया है। इसके तहत कच्चे माल के लिए शून्य से 2.5 प्रतिशत तक शुल्क रखने का सुझाव दिया गया है वहीं तैयार माल के लिए पांच से 7.5 प्रतिशत तक और मध्यवर्ती सामान के लिए 2.5 से पांच प्रतिशत तक आयात शुल्क रखने का सुझाव दिया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वैश्विक व्यापार प्रवृत्तियों के अनुरूप घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए इस मसौदे का प्रस्ताव दिया है, जो अगले तीन से पांच वर्षों में वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के अनुसार भारत के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
उद्योग मंडल ने कहा, ‘‘यह भारतीय उद्योग को वैश्विक बाजारों में अपने माल और सेवाओं को प्रतिस्पर्धी बनाने और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ जोड़ने में मदद करेगा।’’ सीआईआई ने उच्च स्तर पर रोजगार को बढ़ावा देने के लिए पारिश्रमिक की सीमा को 50,000 रुपये प्रतिमाह तक बढ़ाने का सुझाव भी दिया। आयकर अधिनियम की धारा 80 जेजेएए के तहत किसी भारतीय विनिर्माण कंपनी द्वारा नये कर्मचारी की नियुक्ति की स्थिति में तीन वर्षों तक अदा किये गये पारिश्रमिक पर उसे टैक्स लाभ दिया जाता है। इस समय यह लाभ प्रतिमाह 25,000 रुपये तक के वेतन पर मिलता है।
बजट के करीब आने के साथ ही अर्थव्यवस्था से जुड़े हर पक्ष ने अपने सुझाव वित्त मंत्री तक पहुंचाए हैं। कोरोना महामारी की वजह से इस बार वित्त मंत्री ने ईमेल, पोर्टल के जरिए सुझाव मांगे वहीं इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ वित्त मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा की। वित्त मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी बयान में कहा गया है कि नौ समूहों के 170 आमंत्रितों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई 15 वर्चुअल बैठकों में भाग लिया। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन 14 दिसंबर से 23 दिसंबर के दौरान किया गया। यह पहला मौका है जबकि कोविड-19 संकट की वजह से बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन वर्चुअल तरीके से हुआ है। इन बैठकों में अर्थव्यवस्था और इंडस्ट्री के दिग्गजों ने सरकार को विभिन्न विषयों जैसे स्वास्थ्य एवं शिक्षा, जल संचयन एवं संरक्षण, कारोबार सुगमता, उत्पादन आधारित निवेश योजना, निर्यात, मेक इन इंडिया उत्पादों की ब्रांडिंग आदि पर अपने सुझाव दिए।