Friday, November 22, 2024
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कृषि कानून: CII की पंजाब सरकार और किसानों से गतिरोध खत्म करने की अपील

लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं 13,500 से अधिक कंटेनर लुधियाना के पास ढंडारी में अटके हुए हैं वहीं प्रदर्शन का धान की फसल के उठान पर भी विपरीत असर पड़ा है और दिल्ली व राजपुरा में 60,000 बोरी का परिवहन नहीं हो सका है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: November 17, 2020 18:00 IST
कृषि कानूनों पर...- India TV Paisa
Photo:PTI

कृषि कानूनों पर प्रदर्शनों से उद्योगों को नुकसान

नई दिल्ली| औद्योगिक निकाय भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मंगलवार को सरकार और किसान समूहों से केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में मौजूदा गतिरोध का हल खोजने का आह्वान किया। औद्योगिक निकाय ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों की ओर से जारी आंदोलन के कारण आर्थिक गतिविधियों पर पड़ रहे नकारात्मक असर और रेल नाकेबंदी के मद्देनजर राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर को देखते हुए चिंता व्यक्त की है।

सीआईआई ने केंद्र और राज्य के साथ ही किसानों को एक साथ आने और इस संकट को समाप्त करने के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने की जरूरत पर जोर दिया। ऐसा अनुमान है कि राज्य में उद्योगों को पहले से ही कोविड-19 के कारण पड़ने वाले प्रभावों के कारण हजारों-करोड़ों रुपयों का नुकसान झेलना पड़ा है। कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेन सेवाएं लगभग 50 दिनों तक निलंबित रहने से पहले से ही राज्य के हालात अच्छे नहीं थे और अब आंदोलन के कारण भी पंजाब के आर्थिक हालात बिगड़े हैं।

पंजाब के उद्योग और वाणिज्य मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा का हवाला देते हुए, सीआईआई ने कहा कि अकेले लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं 13,500 से अधिक कंटेनर लुधियाना के पास ढंडारी में अटके हुए हैं और उन्हें देश के अन्य हिस्सों में नहीं भेजा जा सका है। राज्य के कृषि विभाग के अनुसार, मंडियों में धान की फसल के उठान पर भी विपरीत असर पड़ा है और दिल्ली व राजपुरा में 60,000 बोरी का परिवहन नहीं हो सका है।

उद्योग को बड़ा नुकसान हो रहा है, क्योंकि रांची और पंजाब के बीच लगभग 13,000 वाणिज्यिक कंटेनर फंसे हुए हैं। सीआईआई पंजाब स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष राहुल आहूजा ने कहा, "हम समझते हैं कि किसानों को कृषि कानूनों को लेकर कुछ संदेह हो सकता है। हालांकि इस आंदोलन से अब न केवल बड़े व्यवसायों को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे स्थानीय उद्योग, श्रमिक, लॉजिस्टिक प्रदाता और छोटे किराना स्टोर, जो आपूर्ति प्राप्त करने में असमर्थ हैं, वह भी प्रभावित हो रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि जितने अधिक समय तक यह नाकाबंदी जारी रहेगी, इसका उतना ही अधिक नुकसान पंजाब को झेलना होगा। वहीं सीआईआई पंजाब के उपाध्यक्ष भवदीप सरदाना ने भी इस मुद्दे का हल निकाले जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कच्चे माल और आधे तैयार माल की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट ने बाजार में कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) और नकदी पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। केंद्र सरकार और किसानों के बीच 13 नवंबर को दिल्ली में हुई वार्ता में इस मुद्दे का कोई हल नहीं निकल सका। अब 21 नवंबर को केंद्र सरकार के साथ एक और बैठक से पहले किसान यूनियनें चंडीगढ़ में आंतरिक चर्चा कर रही हैं।

 

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