नई दिल्ली। सिगरेट के प्रति भारतीयों का प्रेम धुआं बनकर हवा में उड़ रहा है। एशिय की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत में सिगरेट की बिक्री का ग्राफ गिरकर 15 साल के निचले स्तर पर आ गया है। रिसर्च एजेंसी यूरोमॉनीटर ने 27 जून को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2015 में 88.1 अरब सिगरेट स्टिक की बिक्री हुई, जो इससे पूर्व वर्ष की बिक्री की तुलना में 8.2 फीसदी कम है। हालांकि, भारत में सिगरेट इंडस्ट्री के सामने केवल डिमांड और कीमत ही अकेली चुनौतियां नहीं हैं। यूरोमॉनीटर के मुताबिक 2014 और 2015 के बीच अवैध सिगरेट का हिस्सा 19.2 फीसदी से बढ़कर 21.3 फीसदी हो गया है। इस वजह से भारत दुनिया में अवैध सिगरेट का चौथा सबसे बड़ा बाजार बन गया है।
सिगरेट बिक्री में गिरावट के मुख्य कारण भारी टैक्स और विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयास हैं। बजट 2016 भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लगातार पांचवें साल सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा की थी। इस बार सिगरेट पर एक्साइज ड्यूटी में 10 फीसदी का इजाफा किया गया। इसके अलावा, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अप्रैल में सभी सिगरेट पैकेट पर बड़े आकार में स्वास्थ्य चेतावनी छापने को अनिवार्य बना दिया। भारत में हर साल तकरीबन 10 लाख लोग तंबाकू जनित बीमारियों की वजह से मौत का शिकार बनते हैं।
89 फीसदी अवैध कारोबार
भारत में कुल तंबाकू उपभोग में केवल 11 फीसदी हिस्सा वैध सिगरेट का है, जबकि शेष 89 फीसदी का उपभोग तंबाकू के अन्य रूप और अवैध सिगरेट के रूप में होता है। हालांकि, तंबाकू उत्पादों से प्राप्त होने वाले राजस्व में वैध सिगरेट की हिस्सेदारी 87 फीसदी है, ऐसा इस पर बहुत अधिक टैक्स के कारण है।
सिगरेट कंपनियां हैं दबाव में
भारत के 66,430 करोड़ रुपए वाले तंबाकू उत्पाद इंडस्ट्री में अधिकांश बड़ी कंपनियां भारी दबाव में हैं। देश की सबसे बड़ी सिगरेट कंपनी आईटीसी ने वित्त वर्ष 2015-16 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि टैक्स में भारी बढ़ोतरी और नियामकीय दबाव के बीच देश के वैध सिगरेट कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा है और इससे कंपनी के राजस्व पर भी असर हुआ है। कंपनी के कुल राजस्व में सिगरेट की हिस्सेदारी 40 फीसदी है, जबकि शेष राजस्व फूड, पर्सनल केयर, पेपर मिल और होटल जैसे बिजनेस से आता है।
एक अन्य बड़ी तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनी गॉडफ्रे फिलिप्स पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि घरेलू सिगरेट इंडस्ट्री पर लगातार बढ़ते इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ बढ़ रहा है। इससे 2014-15 में कंपनी की बिक्री घटी है और राजस्व वृद्धि दर 4.2 फीसदी रही है।
Source: Quartz