नई दिल्ली: पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के पास अरब सागर में चीन को मछली पकड़ने का अधिकार दिया है। इसके बाद अब बलूच तट पर समुद्र सैकड़ों चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं से भरा हुआ है। पाकिस्तान ने ग्वादर में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों को लाइसेंस दे दिया है, जिससे अब स्थानीय मछुआरों में आक्रोश पैदा हो गया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने बताया कि सैकड़ों मछुआरों, राजनीतिक एक्टिविस्ट और नागरिक समाज के सदस्यों ने ग्वादर में चीन के मछली पकड़ने वाले जहाजों को मछली पकड़ने का अधिकार देने के लिए संघीय सरकार के खिलाफ एक विरोध रैली का मंचन किया। नेशनल पार्टी और बलूच छात्र संगठन ने विरोध का आह्वान किया था। सरकार के इस कदम के खिलाफ ग्वादर प्रेस क्लब के सामने रैली और धरना प्रदर्शन किए गए।
इस कदम से बलूच के मछुआरे अपने आप को दोगुना ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें पहले सुरक्षा चिंताओं के कारण चीन द्वारा संचालित ग्वादर बंदरगाह के लिए उनकी भूमि से विस्थापित किया गया था। चीन के अरबों डॉलर के निवेश के बावजूद, स्थानीय लोग वंचित महसूस कर रहे हैं। अब, विशाल मछली पकड़ने वाले चीनी जहाजों के आने से वे पूरी तरह से कुचले हुए या दबाए हुए महसूस कर रहे हैं।
उनकी चिंता इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि चीनी जहाज कोई साधारण नौकाएं नहीं हैं। ये इस तरह की फैक्ट्री शिप हैं। चूंकि चीनी जहाजों ने अपने बड़े पैमाने पर संचालन शुरू कर दिया है, न केवल बलूचिस्तान में बल्कि पाकिस्तान के लगभग 1,000 किलोमीटर के तट पर मछुआरे अब अपनी आजीविका के लिए परेशान हैं।
चीनियों ने पाकिस्तानी समुद्र तट को तहस-नहस कर दिया है। पिछले साल मछली पकड़ने वाले चीनी जहाजों को कराची बंदरगाह पर देखा गया था, जिससे सिंध में मछुआरों में डर फैल गया था।
मछली पकड़ने वाले ये बड़े और भारी भरकम जहाज समुद्र में बड़े क्षेत्र में काफी बड़े जाल फैंकते हैं। ये जहाज संकरे जालों से सुसज्जित हैं, जो न केवल मछली पकड़ते हैं, बल्कि समुद्र में मौजूद विभिन्न प्रकार के अंडों को भी नष्ट कर देते है। यह समुद्र तल में भारी हलचल पैदा करते हैं, जिससे समुद्री खाद्य श्रृंखला भी नष्ट हो जाती है।
पाकिस्तानी मछुआरा समुदाय चिंतित है, क्योंकि प्रत्येक चीनी पोत एक पाकिस्तानी नाव की तुलना में दस गुना अधिक मछली पकड़ सकता है। चिंता की बात यह है कि चीनी जहाजों के प्रवेश से बलूच और सिंधी मछुआरों के बीच बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ेगी। पाकिस्तानी मछुआरों की चिंता इस बात को लेकर भी है कि गहरे समुद्र में मछली पकड़ना न केवल बड़े पैमाने पर की जाती है, बल्कि यह विनाशकारी भी है।
पाकिस्तान ने अपना विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) चीनी मछली पकड़ने वाली कंपनियों के लिए खोल दिया है। फिशरमेन को-ऑपरेटिव सोसाइटी (एफसीएस) के चेयरमैन अब्दुल बेर ने अरब न्यूज को बताया कि चीन पाकिस्तानी मछली पकड़ने के उद्योग को अपग्रेड करने और उसके निर्यात को बढ़ाने में मदद करेगा।
बेर ने कहा, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए चीनी जहाज लाना सरकार की गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की नीति के अनुरूप है और इसका उद्देश्य स्थानीय मछुआरों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के अलावा मछली पकड़ने का उन्नयन और आधुनिकीकरण करना है।
आठ जून को विश्व महासागर दिवस से ठीक पहले मई 2020 में ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ओडीआई) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का डिस्टेंट वाटर फिशिंग (डीडब्ल्यूएफ) बेड़ा पहले की तुलना में पांच से आठ गुना बड़ा हो चुका है। ओडीआई ने लगभग 17,000 जहाजों के बेड़े का अनुमान लगाया है।
ओडीआई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन के डीडब्ल्यूएफ बेड़े का स्वामित्व और परिचालन नियंत्रण जटिल और अपारदर्शी दोनों है। ओडीआई के 6,122 जहाजों के एक उप-नमूने के विश्लेषण में पाया गया कि केवल आठ कंपनियां 50 से अधिक जहाजों के स्वामित्व या संचालन करती हैं। जटिल कंपनी संरचनाएं और पारदर्शिता की कमी निगरानी और नियामक प्रयासों में बाधा डालती है। इससे कदाचार के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना मुश्किल हो जाता है।
चीनी मछली पकड़ने वाली कंपनियों के लिए अपना ईईजेड खोलकर, पाकिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में 62 अरब डॉलर के विशाल निवेश के लिए कम्युनिस्ट देश के पक्ष में तो हो सकता है। लेकिन ऐसा करके पाकिस्तान का इस्लामी गणराज्य अपने ही लोगों - सिंधियों और बलूचिस्तान के लोगों के लिए काफी गलत कर रहा है, जो पहले से ही स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।