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इस मामले में चीन से भारत ने छीनी बादशाहत, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए बदलें कई नियम

इंटरनेशनल मार्केट में भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन की बादशाहत खत्म होती नजर आ रही है। अब कई मल्टिनेशनल कंपनी के लिए भारत पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है।

Ankit Tyagi
Updated : January 05, 2017 7:55 IST
इस मामले में चीन से भारत ने छीनी बादशाहत, घबराकर बदलें कई नियम
इस मामले में चीन से भारत ने छीनी बादशाहत, घबराकर बदलें कई नियम

नई दिल्ली। इंटरनेशनल मार्केट में भारत के बढ़ते प्रभाव से चीन की बादशाहत खत्म होती नजर आ रही है। दरअसल अब कई मल्टिनेशनल कंपनी के लिए भारत पसंदीदा डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। इस पर चीन के मीडिया ने अपनी सरकार को मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर फोकस करने की सलाह दी है। एक तरफ जहां चीन की मुश्किलें अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बढ़ा दी हैं तो दूसरी तरफ भारत से भी कड़ी चुनौती मिल रही है।

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सरकारी अखबार ने चीनी सरकार को दी तेज रिफॉर्म की सलाह

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में कहा, दक्षिण एशियाई देशों में ऐपल के संभावित सप्लाई चेन के आने से चीन पर दबाव बढ़ेगा। यह देखने वाली बात है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के तौर पर चीन की जगह ले पाएगा या नहीं। लेकिन जैसी नई स्थिति तैयार हो रही है उससे यह तो स्पष्ट है कि चीन को मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बढ़ाना ही होगा।

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एपल के आने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मिलेगी मजबूती

  • ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है कि ऐपल अगर भारत में अपना विस्तार कर लेता है तो अन्य बड़ी ग्लोबल कंपनियां भी ऐसा करेंगी।
  • भारत, लेबर फोर्स की बड़ी संख्या और सस्ती उपलब्धता में ही चीन को पीछे छोड़ देता है।
  • चीन अभी अपना ताज गंवाने की स्थिति में नहीं है और इसके लिए यहां पर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।

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चीन से भारत ने छीनी बादशाहत

  • दुनिया भर के निवेश (एफडीआई) को अपने देश में आकर्षित करने के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है।
  • इसके चलते एफडीआई के मामले में चीन की बादशाहत छिन गई और भारत एफडीआई का नया सरताज बन बैठा।
  • भारत ने 2015 में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे ज्‍यादा एफडीआई आकर्षित करने वाला देश बन गया था।
  • इस दौरान जहां भारत ने 63 अरब डॉलर एफडीआई आ‍कर्षित किया था, वहीं चीन के हिस्‍से सिर्फ 56.6 अरब डॉलर ही एफडीआई आया।

पिछड़ने के बाद चीन ने बदले नियम

  • भारत से 2 साल से मात खाने के बाद अब चीन को एफडीआई को लेकर अपने नियमों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
  • चीन ने इसके चलते कुछ ऐसे सेक्‍टर को खोलने का फैसला किया है, जिन्‍हें अभी तक विदेशी निवेश के लिए नहीं खोला गया था।
  • इसमें परिवहन और रेलवे जैसे सेक्‍टर भी शामिल हैं।
  • चीन ने एफडीआई के लिए रिस्टिक्‍टेड सेगमेंट की संख्‍या को 93 से घटाकर अब 62 कर दिया है।

भारत ने करंसी के मामले में भी चीन को पीछे छोड़ा

  • यूं तो चीनी यूआन भारतीय रुपए से महंगा है, लेकिन ग्‍लोबल स्थिरता के मामले में भी 2016 में भारतीय रुपया चीनी युआन को पीछे छोड़ गया।
  • ट्रंप के चुनाव जीतने और स्‍लोडाउन के चलते 2016 में डॉलर के मुकाबले चीनी युआन बुरी तरह ढह गया।

    पूरे साल के दौरान युआन में डॉलर के मुकाबले 6 फीसदी की भारी कमजोरी देखी गई, जो चीन जैसी बड़ी इकोनॉमी के लिए खतरे से कम नहीं है।

  • वहीं विपरीत ग्‍लोबल हालातों के बाद भी भारतीय रुपया करंसी मार्केट में मजबूती के साथ पैर जमाए रहा और पूरे साल के दौरान इसमें 1 फीसदी से भी कम की कमी रही।

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