बीजिंग। भारत में चीन से निवेश सालाना आधार पर 2015 में छह गुना बढ़कर 87 करोड़ डॉलर हो गया तथा चीन की कंपनियों पर प्रतिबंधों में ढील तथा अनुकूल कर दरों के चलते और निवेश की उम्मीद है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की चीन यात्रा से पहले सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस आशय का समाचार प्रकाशित किया है। इसके अनुसार चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश 2015 में 2014 की तुलना में छह गुना हो गया। चीन के व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि निवेश प्रतिबंधों में ढील, अनुकूल कर व जमीन किराया नीतियों के चलते निवेश बढा है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में चीन से निवेश 2015 में बढ़कर लगभग 87 करोड़ डॉलर हो गया जो कि 2014 की तुलना में छह गुना है।
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उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पिछले साल से अपनी मेक इन इंडिया पहल में चीन से अधिकाधिक निवेश हासिल करने के प्रयास शुरू किए हैं। भारतीय अधिकारियों के अनुसार चीन से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अब तक 1.24 अरब डॉलर हुआ है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 25 मई को गुआंगचोउ शहर में भारत-चीन व्यापार मंच को संबोधित करेंगे जिसमें 300 से अधिक चीनी उद्योगपति व व्यापार क्षेत्र से जुड़े अधिकारी भाग लेंगे।
भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई के अध्यक्ष नौशाद फोब्र्स 36 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के साथ इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। भारतीय अधिकारियों ने पीटीआई भाषा को बताया कि चीन के 300 से अधिक उद्योगपति व कारोबारी अधिकारी इस कार्यकम में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा भारत में और अधिक चीनी निवेश की वकालत किए जाने की उम्मीद है। व्यापार मंच का उद्घाटन करने के बाद मुखर्जी बीजिंग जाएंगे जहां उनका राष्ट्रपति शी चिनफिंग सहित अन्य शीर्ष नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है।
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