नई दिल्ली। चीन की कंपनियों ने जहां एक ओर भारत में निवेश करने से दूरी बना रखी है, वहीं दूसरी ओर चीनी कंपनियां पाकिस्तान के ग्वादार में पेट्रोकेमिकल सेक्टर में 15 अरब डॉलर का भारी-भरकम निवेश करने की योजना बना रही हैं। ग्वादार से चीन के बीच एक ईंधन पाइपलाइन परियोजना में भी चीनी कंपनियां निवेश करेंगी। भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि चीनी कंपनियों ने हाल के दिनों में भारत में राजमार्ग परियोजनाओं में निवेश नहीं किया है। इससे पहले चीन के साथ सीमा गतिरोध के बीच, गडकरी ने जुलाई 2020 में कहा था कि भारत चीनी कंपनियों को राजमार्ग परियोजनाओं में भाग लेने की मंजूरी नहीं देगा।
चीन 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) के तहत विभिन्न परियोजनाओं पर पहले से ही काम कर रहा है। सीपीईसी परियोजना को 2015 में लॉन्च किया गया था। पाकिस्तान बोर्ड ऑफ इनवेस्टमेंट के सचिव फरीहा मजहर ने कहा कि चीनी कंपनियों ने पाकिस्तान के पेट्रोकेमिकल सेक्टर में 15 अरब डॉलर का निवेश करने पर अपनी सहमति जताई है।
मजहर ने कहा कि चीनी कंपनियां ग्वादर से चीन के बीच बिछनले वाली एनर्जी पाइपलाइन सहित ग्वादर में पेट्रोकेमिकल सेक्टर में निवेश करेंगी। पाकिस्तान में विभिन्न परियोजनाओं में चीनी निवेश के संबंध में द्विपक्षीय बातचीत चल रही है। मजहर ने उम्मीद जताई कि चीनी कंपनियां पाकिस्तान के ऊर्जा, कृषि, पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में भी निवेश करेंगी। सीपीईसी परियोजना का एक हिस्सा ग्वादार पोर्ट पाकिस्तान-चीन तेल और गैस पाइपलाइन का मुख्य स्थान है। भारत सीपीईसी परियोजना का विरोध कर रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रहा है।
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