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डॉलर, यूरो और पाउण्‍ड की बराबरी करेगा चीन का युआन, एसडीआर मुद्राओं में शामिल करने का प्रस्ताव

आईएमएफ के स्टाफ ने अपने एमडी को चीन की करेंसी आरएमबी को स्पेशल ड्राइंग राइट (एसडीआर) में पांचवीं करेंसी के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है।

Dharmender Chaudhary
Updated on: November 15, 2015 12:43 IST
डॉलर, यूरो और पाउण्‍ड की बराबरी करेगा चीन का युआन, एसडीआर मुद्राओं में शामिल करने का प्रस्ताव- India TV Paisa
डॉलर, यूरो और पाउण्‍ड की बराबरी करेगा चीन का युआन, एसडीआर मुद्राओं में शामिल करने का प्रस्ताव

बीजिंग। चीन को अपनी करेंसी युआन के मामले में बड़ी कामयाबी हाथ लग सकती है। युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ाने के प्रयासों को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) का साथ मिल गया है। आईएमएफ के स्टाफ ने अपने एग्जीक्यूटिव बोर्ड को चीन की करेंसी आरएमबी को स्पेशल ड्राइंग राइट (एसडीआर) में पांचवीं करेंसी के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा है। गौरतलब है कि चीन करेंसी मार्केट में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए लंबे समय से इसकी कोशिश कर रहा है।

एसडीआर में शामिल होने वाली 5वीं करेंसी बनेगी युआन

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा है कि उनके स्टाफ ने कार्यकारी बोर्ड को चीन की मुद्रा आरएमबी को एसडीआर मुद्राओं में शामिल करने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो एसडीआर में शामिल होने वाली चीन की मुद्रा पांचवीं मुद्रा होगी। फिलहाल में ब्रिटिश पाउण्‍ड, यूरोप का यूरो, जापानी येन और अमेरिकी डॉलर शामिल है। आईएमएफ प्रमुख ने जारी एक वक्तव्य में कहा है कि बहुपक्षीय संस्था का मानना है कि रेनेम्बिनी (आरएमबी) एक मुक्त रूप से इस्तेमाल करने वाली मुद्रा के लिए जरूरी मानदंडों को पूरा करती है। इस लिहाज से स्टाफ ने अपने कार्यकारी बोर्ड को यह प्रस्ताव किया है।

क्‍या होता है एसडीआर

एसडीआर एक खास तरह की करेंसी रिजर्व है। इसको 1959 में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने बनाया था। इसको सोना और डॉलर की अनिश्चितता और सीमाओं को देखते हुए किया गया था। इसका इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तरलता बढ़ाने के लिए होता है। दरअसल डॉलर और सोने में जिस तरह से उतार चढ़ाव चलता रहता है उसे देखते हुए इस तरह की मुद्रा की जरूरत महसूस हो रही थी इसी को देखते हुए आईएमएफ ने इस मुद्रा का निर्माण किया।

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